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Showing posts from 2019

"हम रामलीला मैदान आ रहे हैं" कर रहा ट्विटर पर ट्रेंड

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दि एक्सपोज एक्सप्रेस. निजीकरण, आरक्षण पर हमले, बढ़ती बेरोजगारी के खिलाफ और निजी क्षेत्र एवं उच्च न्यायपालिका में आरक्षण के समर्थन में दलित नेता एवं पूर्व सांसद उदित राज ने 1 दिसंबर को रामलीला मैदान, दिल्ली में पूरे देश के दलित, पिछड़े और आदिवासी समाज के लोगों को आने का आह्वान किया है। कई सारे दलित, पिछड़े और आदिवासी संगठनों ने उदित राज के इस कदम को अपना समर्थन दिया है। ज्यादा से ज्यादा लोगों को इस मुहिम से जोड़ने और आमंत्रित करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया जा रहा है। "हम रामलीला मैदान आ रहे हैं" ट्विटर पर दोपहर से ही ट्रेंड कर रहा है। उदित राज ने कहा है कि निजीकरण से आरक्षण को नुकसान होता, इसलिए दलित, पिछड़ा और आदिवासी विरोधी मोदी सरकार लगातार निजीकरण किए जा रही है। अपने हक के लिए हमें आवाज उठानी होगी।

सवर्ण नेताओं के मरने पर दलित-पिछड़े आखिर आंसू क्यों बहाते हैं

            चाराचोर, टोंटीचोर, भैंसावती न जाने कैसी-कैसी अमर्यादित-गरीमाहीन अपशब्दों से उनके घर के बच्चे-बच्चे तक करते हैं सुशोभित तुम्हारे नेताओं को और तुम सब सिर पर अपने चलते हो उठाकर उन घोटालेबाजों का ध्वजा करते हो उनका जयकारा खुद अपनी ही हार पर। तुम्हारे हक को कुचल करके अतिक्रमण तुम्हारे अधिकारों पर हत्यारा रहा जो तुम्हारे समाज का निकलते हैं आंसुओं के सैलाब तुम्हारी आंखों से थकते नहीं मुख पढ़-पढ़ कसीदे मृत्योपरांत उनके उस नेता के नाम के और एक वो हैं बख्शते नहीं अपने इक्के-दुक्के नेताओं को भी रही हो जिन्हें तुमसे हमदर्दी लिखे जाते हैं अपशब्द अखबारों में होती हैं सभाएं उनके खिलाफ ठंडी भी नहीं होती है जब तक उनकी चिताओं की राख।                -शशि कांत कुमार

जनेऊधारियों की मानसिक गुलामी से कब बाहर निकलेंगे पिछड़े?

पिछले 2000 साल से पिछड़ी जातियां पिछड़ी ही बनी हुई है। विदेशी जनेऊधारियों ने इन्हें अपना मानसिक गुलाम बनाया हुआ है। ये इतने बड़े गुलाम हैं कि जो भी इन्हें इस गुलामी से निकालने के लिए जनेऊधारियों से अपनी चिंता किए बगैर लड़ते हैं ये उन्हीं से गद्दारी करते हैं और अपना शोषण करवाने के लिए जनेऊधारियों से मिल जाते हैं। ये पिछड़े अपने परिवार के लोगों की अच्छी बात नहीं मानते लेकिन जनेऊधारी जो कि हमेशा इनको नीचा देखना चाहते हैं की बात तुरंत मान लेते हैं और अपने लोगों के खिलाफ हो जाते हैं।  वीपी सिंह ने पिछड़ों को आरक्षण दिया और पिछड़े लोग राम भक्त बनकर आरक्षण छिनने वालों से जा मिले और वीपी सिंह को हरा बैठे। लालू, मुलायम, शरद जैसे लोग इनको उपर उठाने के लिए जनेऊधारियों से लड़ाई लड़ते हैं लेकिन ये पिछड़े आज इन्हें ही चोर कहते हैं और लूटने और शोषण करने वाली पार्टियों को भगवान बना बैठे हैं।

इंटर केटेगरी शादियों के लिए कानून बने, आएगा क्रांतिकारी बदलाव

प्राइवेट नौकरी के दौरान मेरे एक मित्र (रंजन कुमार) को प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाली एक लड़की (ऋतु) से प्रेम हो गया। रंजन पिछड़ी जाति का और ऋतु सामान्य वर्ग से ताल्लुक रखती है। ऋतु के कहने पर कि बिना अच्छी सरकारी नौकरी के दोनों का विवाह असंभव है, परिवार पर आए आर्थिक विपत्तियों के बावजूद रंजन नौकरी छोड़कर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में लग गया। एक साल की कड़ी मेहनत के बाद उसका चयन बैंक पीओ के तौर पर हो गया। ऋतु भी बैंक क्लर्क के लिए चुनी जा चुकी थी। ऋतु के  माता- पिता को बहुत पसंद आने के बावजूद दोनों की शादी नहीं हो पाई। ऋतु के माता-पिता ने केवल इस कारण रिश्ता नामंजूर कर दिया कि समाज क्या कहेगा?        ऐसी सोच केवल ऋतु के माता-पिता की ही नहीं बल्कि उनके जैसे लाखों अभिभावकों की है जो जातियता से ऊपर उठना चाहते हैं, पर समाज की उपेक्षा के डर से जाति की बेड़ियों को तोड़ नहीं पाते। नतीजतन समाज में खाईबढ़ती जा रही है,जो समय-समय पर अपना विकराल रूप दिखाती है।           यहां सरकार का काम शुरू होता है।...

सात लाख लेने के बाजजूद अस्पताल ने जिंदा को मुर्दा घोषित किया

द एक्सपोज़ एक्सप्रेस. मामला उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ का है। 21 जून को सड़क हादसे में घायल मो. फुरकान के मृत शरीर को जैसे ही कब्र में रखा जाना था रिश्तेदारों ने असके शरीर में हरकत देखी। इसके बाद फौरन उसे राम मनोहर लोहिया अस्पताल ले जाया गया, जहां उसे वेंटिलेटर पर रखा गया है। फुरकान के भाई इरफान ने बताया कि दुर्घटना के बाद उसे एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इलाज के दौरान उनसे सात लाख रुपए ले लिए गए थे। अस्पताल प्रशासन द्वारा और पैसे मांगने पर हमने जब पैसै नहीं होने की बात कही तो फुरकान को मृत बता दिया गया। लखनऊ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी नरेंद्र अग्रवाल ने मामला को गंभीर बताया है एवं जांच की बात कही है। फुरकान का इलाज कर रहे डॉक्टर ने मरीज की हालत गंभीर बताई है। हालांकि दिमाग, ब्लड और नाड़ी काम कर रहा है।

टाइम्स ऑफ इंडिया का सरकारी विज्ञापन बंद, मालिक कर सकते हैं मोदी से मुलाकात

द एक्सपोज़ एक्सप्रेस. प्रधानमंत्री मोदी के गुस्से की नई शिकार बनी हैं आनंद बाजार पत्रिका और टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप। मोदी ने इन दोनों मीडिया ग्रुप को दिए जाने वाले सरकारी विज्ञापन पर रोक लगा दी है। यह पहला मौका नहीं है जब मोदी ने मीडिया ग्रुप के विज्ञापनों को रोका है। मीडिया ग्रुप को साधने और मनमाफिक खबर चलवाने के लिए वह पहले भी ऐसा करते हैं। इससे पहले मोदी ने द हिंदु को दिए जाने वाले सरकारी विज्ञापनों पर रोक लगा दी थी। द हिंदु को राफेल पर खबर छापने की कीमत चुकानी पड़ी। मार्च महीने से उसे सरकारी विज्ञापन नहीं दिया गया है। इस साल हुए लोकसभा चुनाव के दौरान टाइम्स ग्रुप के कुछ अखबार और चैनल ने आचार संहिता मामले पर प्राथमिकता के साथ खबर दिखाई थी, जिससे मोदी नाराज हो गए हैं। हालांकि इस दौरान इसी ग्रुप के कई सारे चैनल और अखबार मोदी भक्ति में डूबे रहें। लेकिन कुछ चैनल/अखबार मोदी भक्ति में डूबे रहें और कुछ सरकार की आलोचना करें उनकी यह रणनीति काम नहीं आई। खबर है कि ग्रुप के मालिक विनित जैन इस सिलसिले में मोदी से मुलाकात करेंगे। मीडिया ग्रुप की आय का एक बड़ा भाग सरकारी विज्ञापनों से आता है। ...

बिहार टीईटी- 29 से शुरु होगी नियोजन प्रक्रिया

द एक्सपोज़ एक्सप्रेस. बिहार टीईटी पास लोगों के लिए खुशखबरी। टीईटी के संबंध में सरकार ने आदेश जारी कर दिया है। नियोजन की प्रक्रिया 29 जुलाई से शुरु होगी। नियोजन पत्र 29 नवंबर को इकाई स्तर पर अभ्यर्थियों को प्रदान की जाएगी।

भारतीय टीम की भगवा जर्सी की हर तरफ उड़ रही खिल्ली

द एक्सपोज़ एक्सप्रेस. "पहली बार भगवा की लिंचिंग देखने मिल रही है", मोहम्मद शमी ने पांच विकेट लेते हुए फिर से साबित कर दिया कि अंग्रेजों के सामने भगवाधारी ही झुके थे मुल्ले नहीं जैसै अनेकों व्यंग से पूरा सोशलमीडिया उस समय पटना शुरु हो गया जब रविवार को खेले जा रहे भारत-इंग्लैंड मुकाबले के दौरान इंग्लैंड के बल्लेबाजों ने भारतीय गेंदबाजों को धोना शुरु किया। मैच का नतीजा इंग्लैंड के पक्ष में गया। गौर करने वाली बात है कि पिछले 27 साल से वर्ल्ड कप में भारत इंग्लैंड के खिलाफ अपराजित रहा था। लेकिन भगवा रंग पहनते ही जीत का यह सिलसिला टूट गया। सिलसिला सिर्फ इंग्लैंड के खिलाफ ही नहीं टूटा बल्कि इस हार के साथ इस वर्ल्ड कप में भी भारत की जीत का सिलसिला टूट गया।   खेल में जीत-हार लगी रहती है। टीम के हारने-जीतने के बाद लगभग हर भारतवासी की मनोस्थिति एक जैसी रहती है। हार के बाद अधिकांश उदास रहते हैं और जीत के बाद खुश। लेकिन शायद यह पहली दफा है जब टीम के हारने पर भी आधा से ज्यादा भारतीए हार का मजा ले रहे हैं। जिसका कारण सिर्फ और सिर्फ जर्सी का रंग है। इस जर्सी में भगवा रंग को काफी ज्यादा जग...

क्रिकेट वर्ल्ड कप मैच के दौरान पाकिस्तानियों-अफगानिस्तानियों के बीच मारपीट

द एक्सपोज़ एक्सप्रेस. लिड्स क्रिकेट मैदान पर हो रहे पाकिस्तान-अफगानिस्तान मैच के दौरान स्थिति उस दौरान खराब हो गई जब "जस्टिस फॉर बलूचिस्तान" स्लोगन को रस्सी के सहारे अपने साथ ले जा रहा एक प्राइवेट प्लेन मैदान के उपर गुजरा। इसके बाद पाकिस्तानी-अफगानिस्तानी दर्शकों के बीच मारपीट शुरु हो गई। आईसीसी ने इसे अनाधिकृत विमान बताया है और कहा है कि लिड्स की ट्रैफिक विभाग इसकी जांच करेगा। यह पहला मौका नहीं है जब बलूच समर्थकों ने पाकिस्तान के खिलाफ विरोध जताया है। रविवार को हुए पाकिस्तान के मैच के दौरान भी उन्होंने लॉर्ड्स के बाहर पोस्टर लगाएं थे।

अभिनेता का दावा ईवीएम से छेड़छाड़ संभव, सुप्रीम कोर्ट गएं

द एक्सपोज़ एक्सप्रेस. ईवीएम के विरुद्ध उठते आवाज में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इस बार ईवीएम से छेड़छाड़ का मुद्दा उठाया है एक अभिनेता ने। तमिल फिल्म इंडस्ट्री के नामी विलेन मंसूर अली खान ने इस बाबत सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। खान ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि उन्हें चुनाव आयोग के समक्ष यह साबित करने का मौका दिया जाए कि ईवीएम से छेड़छाड़ संभव है। उन्होंने प्रक्रिया में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों की मौजूदगी की भी बात कही है।

क्रिकेट टीम की नई जर्सी पर बवाल, भगवाकरण का आरोप

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द एक्सपोज़ एक्सप्रेस. भारतीय क्रिकेट टीम की अल्टरनेट जर्सी पर माहौल गरमा गया है। राजनीतिक पार्टियां भाजपा पर क्रिकेट के भगवाकरण का आरोप लगाने लगी है। मुद्दा उठाने में कांग्रेस और सपा के नेता सबसे आगे हैं। सपा नेता अबू आजमी ने मोदी पर तंज कसते हुए कहा है कि जर्सी को एक रंग में रंगने के बजाय तीरंगा के तीनों रंग से रंगते तो भारतीयता की खुश्बू आती। आईसीसी के नियम के मुताबिक अगर दोनों टीमों की जर्सी एक रंग की है तो किसी एक टीम को अल्टरनेट जर्सी पहननी होगी। इसी नियम के तहत 30 जून को भारत-इंग्लैंड के बीच होने वाली मैच में भारत को अल्टरनेट जर्सी में उतरना होगा, क्योंकि दोनों टीमों नीली जर्सी पहनती है। भारत की नई जर्सी की बाजू एवं पिछला हिस्सा भगवा है, जो कि भाजपा का राजनीतिक रंग है। दूसरी टीमों को भी अल्टरनेट जर्सी में उतरना पड़ा है। चूकि वेस्टइंडिज, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की जर्सी दूसरी टीमों से बिल्कुल अलग है, उन्हें इस नियम से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला।

ब्रेकिंग न्यूजः निशांत के बारे में हो सकती है कोई बड़ी घोषणा

जागो इंडिया. बिहार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पुत्र निशांत को लेकर बड़ी घोषणा आने वाले दिन में हो सकती है। जदयू कार्यकर्ता काफी दिनों से निशांत को राजनीति में लाने की मां कर रहे हैं। अब तक नीतीश निशांत को राजनीति में बचते रहे हैं। मीडिया को भी उनसे दूर रखा जाता है। लेकिन अब स्तिथि बदल गई है। निशांत बीते कुछ महीनों में कई दफा मीडिया से मुखातिब हुए हैं। इन सब को देखते हुए ऐसा कयास लगाया जा रहा है कि अगला विधानसभा चुनाव वे लड़ें। विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक उन्हें नालंदा के किसी विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया जा सकता है।

एक भूमिहार और दलित-पिछडे की शोषण की कहानी

एक भूमिहार था। उसका दूध का सेंटर था। दो-तीन गांव के दलित-पिछड़े उसी के यहां दूध पहुंचाते थे। लेकिन बदले में उन्हें काफी कम पैसे मिलते थे। एक दिन गांव में एक पढ़ा-लिखा युवक आया। वह अपने मौसा से मिलने आया था। जब उसे इतने कम पैसे पर दूध बेचे जाने की पता चली तब उसने उनलोगों को को-ऑपरेटिव बनाकर दूध बेचने की बात कही। पहले लोग नहीं माने। केवल 8-10 लोग ही सामने आएं। लेकिन जब दूध की ज्यादा कीमत मिलने की बात पता चली तब सभी लोग को-ऑपरेटिव से जुड़ने लगे। को-ऑपरेटिव से जहां दलित-पिछड़ों की आमदनी काफी अच्छी हो गई थी, वहीं उस भूमिहार का धंधा मंदा। उसने बदला लेने की ठानी। उसने लोगों को एक-दूसरे के खिलाफ भड़काना शुरु किया। धीरे-धीरे को-ऑपरेटिव में कई गुट बन गए। एक रात भयंकर लाठा-लाठी हुई। मौका देखकर भूमिहार के गुंडों ने कई लोगों के घर भी जला दिए। पुलिस आई और सभी को थाने ले गई। योजना के मुताबिक उस भूमिहार ने सबका जमानत करवा दिया और दलित-पिछड़े के लिए मसीहा बन गया। उस युवक ने सबको को-ऑपरेटिव पर आने की बात कही। कोई नहीं आया। सभी भूमिहार के सेंटर पर जाने लगे। शुरु में दूध का सही दाम दिया गया। काफी समझाने...

मुजफ्फरपुर इंसेफ्लाइटिस पर नीतीश को टारगेट क्यों कर रही गोदी मीडिया

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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अगले साल होने वाली विधान सभा चुनाव के बाद भी बिहार के मुख्यमंत्री बने रहे इसमें संदेह है। भाजपा हर संभव कोशिश कर रही है, जिससे नीतीश को दबाया जाए। नीतीश कुमार बिहार एनडीए में अब तक बड़े भाई की भूमिका निभाते आए हैं। हाल के कुछ महीनों को छोड़ दिया जाए तो उन्हें नंबर दो करने की हिम्मत भाजपा ने कभी नहीं दिखाई। लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। भाजपा नीतीश कुमार को नीचा दिखाने का एक भी मौका नहीं छोड़ रही है। इसका हालिया उदाहरण मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार(एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम) की वजह से हो रही बच्चों की मौत है। बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय भाजपा कोटा से हैं। लेकिन घटना का दोषी नीतीश कुमार को बनाया जा रहा है। ध्यान देने वाली बात है कि विभिन्न तरह की  इंसेफ्लाइटिस से जुड़ा टीकाकरण का कार्यक्रम केंद्र प्रायोजित है। अतः टीकाकरण का कार्यक्रम अगर सुचारू रूप से नहीं चल रहा तो इसकी जिम्मेवार केंद्र सरकार है। बिहार के अलावा उत्तर प्रदेश और उड़ीसा में भी टीकाकरण की स्थिति विकट है। गुजरात में इंसेफ्लाइटिस जैसी समस्या नहीं है, लेकिन वैसे स्वास्थ्य के...

मुजफ्फरपुर इंसेफ्लाइटिस से सैंकड़ों बच्चों की मौत, पाकिस्तान जिम्मेवार, नहीं हुआ एसओपी का पालन

द एक्सपोज़ एक्सप्रेस. एईएस(एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम) जिसे मुजफ्फरपुर इंसेफ्लाइटिस और चमकी बुखार भी कहा जाता है, बिहार के लिए नया नहीं है। इससे साल 2012, 2013, 2014, 2015, 2016, 2017, 2018 में क्रमशः 424, 222, 379, 90, 103, 54 और 33 बच्चों की मौत हो हुई। सरकारी अस्पतालों से मिले आंकड़ों के अनुसार इस साल मुजफ्फरपुर में इंसेफेलाइटिस से करीब 150 बच्चों की मौत हो चुकी है। करीब 400 इलाजरत हैं। यह सरकारी आंकड़ा है, असल आंकड़ा कई गुणा ज्यादा होगा। हर साल मानसून से पहले शुरु होने वाले इस घटना को रोकने के लिए साल 2015 में बिहार सरकार ने यूनिसेफ के साथ एसओपी(स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिज्योर) साइन किया था,  जिसके तहत "आशा" को गांव में घूमकर इस बिमारी से ग्रसित बच्चों की पहचान कर उन्हें ओआरएस देना और रात को भूखे पेट नहीं सोने की सलाह देना था। इसके अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्रों में सुविधाओं को बढ़ाने का भी प्रावधान रखा गया था। इसके अच्छे नतीजे मिले थे। बच्चों की मौत की संख्या में 2015 से 2018 तक गिरावट हुई थी। लेकिन इस साल मामला आउट ऑफ कंट्रोल हो चुका है। बंपर वोट से सत्ता में आई सरकार...

उन्मादी और विभाजनकारी जय श्री राम लोकतंत्र को कर रहे कमजोर

18 जून 2019 का दिन। संसद का सेंट्रल हॉल। हैदराबाद से सांसद ओवैसी शपथ लेने के लिए जैसे ही अपनी जगह से उठते हैं, एनडीए के 300 से ज्यादा सांसद जय श्रीराम और वंदे मातरम का नारा लगाने लगते हैं। ओवैसी उन्हें और ज्यादा जोर से नारा लगाने का इशारा करते हैं और शेर की तरह स्पीकर की कुर्सी की तरफ बढ़ते हैं, जहां उन्हें पद की शपथ लेना है। संसद के इस वाकया को देखकर रामायण का सीन अनायास ही याद आ गया। श्रीराम के सिंहासन की तरफ बढते वक्त उनके अनुचर उनके मान में इसी तरह जय श्री राम का नारा लगाते दिखाए जाते थे। तो क्या भाजपाइयों ने ओवैसी को श्रीराम मान लिया? भाजपाइयों के नारे के जवाब में शपथ लेने के बाद ओवैसी ने भी जय हिंद, जय भीम और अल्ला हू अकबर के नारे लगाए, जो कि भाजपाइयों की तुलना में सेक्युलर था। भाजपाइयों की इस हरकत की हर ओर आलोचना हो रही है। सोशल मीडिया पर इसे बच्चों वाली हरकत बताई जा रही है। लोग कह रहे हैं कि बच्चों के इस खेल में ओवैसी बाजी मार गया। कुछ अरसे पहले तक भाजपाइयों पर राम के नाम का  राजनीतिक उपयोग करने का ही आरोप लगाया जाता था,  लेकिन अब राम की मर्यादा को मिट्टी में मिल...

पश्चिम बंगाल में मरीज की मौत पर पिटाई से डॉक्टरों का खून खौला, मुंबई की पायल तड़वी की हत्या पर थे मौन

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द एक्सपोज़ एक्सप्रेस. बिहार दोहरी मार झेल रहा है, लेकिन यहां के 12000 डॉक्टर हड़ताल पर हैं। प्रचंड गर्मी ने जहां 100 से अधिक लोगों को निगल लिया वहीं इंसेफ्लाइटिस ने भी इतने बच्चों की जीवन लीला समाप्त कर दी है। इतना सब कुछ होने के बावजूद धरती के भगवान कहे जाने वाले डॉक्टर कार्य बहिष्कार कर हड़ताल पर हैं। मौत का तमाशा देख असूरों की तरह मौज ले रहे हैं। इनसे भी आगे हमारे स्वास्थ्य मंत्री हैं। समस्या को सुलझाने के लिए बुलाए गए मीटिंग में जहां केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे, जिनका संबंध बिहार से ही है को निंद आ जाती है वहीं मौतों पर प्रश्न पूछे जाने पर बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे कहते हैं मैं नेता हूं डॉक्टर नहीं।  मौत के मंजर के दौरान मंत्रियों के इस अकर्मण्यता से अनायास ही बिहार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री लालू प्रसाद यादव के पुत्र तेजप्रताप यादव की याद आ जाती है। तेजप्रताप ने स्वास्थ्य मंत्री रहते बिहार के सरकारी अस्पतालों की सूरत बदल दी थी। जदयू-भाजपा की सरकार में हुए मेडिकल घोटाले से वर्षों से बंद पड़े बीएमएससीआईएल(बिहार मेडिकल सर्विसेज एंड कॉर्पोरेशन इंफ्र...

आईएएस में लैटरल इंट्री आरक्षण खत्म करने की दिशा में एक कदम या फिर प्रशासन के निजीकरण की तैयारी

द एक्सपोज़ एक्सप्रेस. पिछले साल निजी क्षेत्र के 9 अधिकारियों को सरकार में सचिव के पद के समानांतर नियुक्त किया गया। बिना किसी परीक्षा को पास किए। अभी 40 पद और इसी व्यवस्था के तहत भरा जाना है। सरकार का मानना है निजी क्षेत्र की प्रतिभा को सरकार में लाकर प्रशासन की क्षमता को धार दिया जाएगा। लेकिन क्या वास्तव में ऐसा है? पूर्व अधिकारीगण इससे इत्तेफाक नहीं रखते। उनका कहना है, आईएएस की सबसे पहली पोस्टिंग एसडीएम के तौर पर होती है। उसी समय से वह विभिन्न वातावरण में रहता है। विभिन्न समाज और क्षेत्र की जरुरतों को समझता-बूझता है। किसी भी समस्या को सुलझाने के लिए वह जो निर्णय लेता है, वह समाज के सभी वर्गों की महत्वकांक्षा का निचोड़ होता है। दूसरी ओर निजीक्षेत्र की कार्यशैली इससे उलटा है। निजीक्षेत्र के सारे फैसले कंपनी मालिकों के फायदे के लिए किए जाते हैं। आम जनता और कंपनी के अधिकारियों के बीच किसी भी तरह का संवाद मौजूद नहीं रहता। इस स्थिति में इन अधिकारियों को सीधे सचिव स्तर पर नियुक्त कर देना प्रशासन की क्षमता को कुंद कर दे इसकी ज्यादा गुंजाइश है।  पूर्व सांसद उदित राज और अन्य रिटायर दलित...

क्या चमार जाति के लोग ब्राह्मणों के वंशज है?

जागो इंडिया. चमरे के व्यवसाय से जुड़े चमार जाति के लोग अछूत थे। हालांकि प्रसव से लेकर शादी-ब्याह और पर्व-त्योहार के दौरान इनकी मौजूदगी आवश्यक थी। सुनने में अजीब लगेगा, लेकिन दंत-कथाओं के अनुसार चमार के पूर्वज ब्राह्मण थे। संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के लिए लिखे अपने शोध पत्र   मिथिलाक सांस्कृतिक अनुशीलन में दीप नारायण ठाकुर ने भी इसका जिक्र किया है। दंत कथा के अनुसार एक परिवार में चार ब्राह्मण भाई थे। एक दिन उनका पशु मर गया। सबसे छोटे भाई को पशु को हटाने की आज्ञा दी गई। आदेश सुनकर उसने जनेऊ को बेल के पेड़ पर रख दिया और मृत पशु को फेंकने निकल गया। जब वह वापस लौटा तो उसे जात से निकाल दिया गया। आने वाले समय में समाज के सभी मृत पशुओं को उसे हटाने की आज्ञा उसे ही दी जाने लगी। उसके वंशज ही चमार कहे जाने लगें।

क्या फिर से होगा लोकसभा चुनाव?

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द एक्सपोज़ एक्सप्रेस. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी लोक सभा चुनाव फिर से कराने और इवीएम बैन को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने वाली है। उन्होंने चुनाव से पहले इवीएम प्रोग्रामिंग से वोट शिफ्ट की बात कही है। ममता बनर्जी के सुप्रीम कोर्ट जाने से पहले सुप्रीम कोर्ट के एक वकील मनोहर लाल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल डालकर मौजूदा लोकसभा को रद्द कर फिर से चुनाव कराने की बात कही है। उन्होंने लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के 61अ के आधार पर इवीएम से चुनाव कराए जाने की प्रक्रिया को असंवैधानिक बताया है।  इवीएम पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। लोकसभा चुनाव नतीजे से पहले 21 विपक्षी दलों ने 50% इवीएम के मिलान के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे कोर्ट ने निरस्त कर दिया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को प्रत्येक विधानसभा में एक के बदले पांच इवीएम को वीवीपैट से मिलाने का आदेश दिया था। इवीएम पर संशय के कई कारण हैं। लोस चुनाव के दौरान 20 लाख इवीएम के गायब होने की खबर आई थी। साथ ही जगह-जगह से इवीएम मिलने और इवीएम बदलने की भी खबरें मीडिया में तैरती रहीं।

कंपनी ने की धोखाधरी, भगवान ने किया कंपनी पर केस

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द एक्सपोज़ एक्सप्रेस. कंपनी की ओर से धोखाधरी किए जाने पर भगवान ने कंपनी पर केस कर दिया है। बैट बनाने वाली आस्ट्रेलियाई कंपनी स्पार्टन ने 2016 में हुए करार के अनुसार क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर को 14 करोड़ रुपए नहीं दिए। करार के अनुसार कंपनी अपनी बैट पर सचिन का नाम और फोटो का इस्तेमाल कर सकती थी। लेकिन भुगतान नहीं होने पर पिछले साल सितंबर में सचिन ने करार तोड़ दिया था और अपने नाम एवं फोटो का इस्तेमाल करने से कंपनी को मना कर दिया था। सचिन ने बकाया वसूलने के लिए अब कोर्ट का सहारा लिया है।  स्पार्टन से बड़े खिलाड़ी जुड़े रहे हैं। डेविड वार्नर इसी कंपनी के बैट का उपयोग विश्व कप में कर रहे हैं। कंपनी का विवादों से भी नाता रहा है। सचिन से पहले मिशेल जॉनशन और जो बर्न्स भी कंपनी पर केस कर चुके हैं।

मोदी-राहुल ने किया गठबंधन, क्या विधानसभा में भी कायम रहेगी जोड़ी?

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द एक्सपोज़ एक्सप्रेस. मोदी-राहुल ने गठबंधन कर लिया है। चौक गएं? चौंकिए मत। यह सच्चाई है। नॉर्थ एमसीडी(दिल्ली नगर निगम) के जोन चुनाव में भाजपा और कांग्रेस ने गठबंधन कर आम आदमी पार्टी(आप) को हरा दिया है। भाजपा पार्षदों ने अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पद के लिए हुए चुनावों में कांग्रेस की प्रत्याशी सीमा ताहिरा(अध्यक्ष) और सुलक्षणा(उपाध्यक्ष) को वोट कर आप को हरा दिया। इस जोन में आप के सबसे अधिक 8 पार्षद थे, जबकि कांग्रेस के 6 पार्षद। भाजपा पार्षदों की वोट से कांग्रेस को 9-9 वोट मिले, जिससे अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष की कुर्सी पर कांग्रेस का कब्जा हो गया है।                      कांग्रेस को वोट करने के पीछे भाजपा की मंशा मुस्लिम बहुल विधान सभाओं में आप को कमजोर और कांग्रेस को मजबूत करना है। यह पहला मौका नहीं है जब कांग्रेस-भाजपा ने गठबंधन किया है। इससे पहले मिजोरम की  चकमा स्वायत जिला परिषद् चुनाव में भी गठबंधन कर कांग्रेस-भाजपा ने मिजो नेशनल फ्रंट को रोका था।   दिल्ली में भाजपा-कांग्रेस...

सवर्ण अधिकारियों को बड़ी-बड़ी जिम्मेवारी देने वाले मोदी कैसे करेंगे दलित-पिछड़ों का भला

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द एक्सपोज़ एक्सप्रेस. मैं पिछड़ा हूं, मैं अति पिछड़ा हूं का प्रलाप कर पिछड़े-अति पिछड़े का वोट लेने वाले प्रधानमंत्री मोदी चारों तरफ सवर्ण अधिकारियों को नियुक्त करते हैं। ये अधिकारी सवर्ण के साथ-साथ उस विचारधारा से संबंध रखते हैं जिसका मकसद दलित-पिछड़ों का शोषण कर उन्हें अपने देश में ही दोयम दर्जे का नागरिक बनाना है। दलित-पिछड़ों के आरक्षण में कमी, 13 प्वाइंट रोस्टर जैसै दलित-पिछड़ा(बहुसंख्यक) विरोधी सरकारी फरमान इसी विचारधारा का नतीजा है।   जानकारों का मानना है कि विवेकानंद फाउंडेशन अप्रत्यक्ष तौर पर मोदी सरकार को चला रही है। मोदी सरकार को अन्ना की सहायता से सरकार में लाने का श्रेय इसी संस्था को दिया जा रहा है। जानकारों का मानना है कि इस संस्था का संबंध आरएसएस से है, जिसे संस्था के लोग नकारते हैं। लेकिन इनके प्रकाशनों में दक्षिण पंथी विचारधारा साफ-साफ देखी जा सकती है।   राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल इस संस्था के संस्थापक निदेशक थे। प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्र और अतिरिक्त प्रधान सचिव पीके मिश्र भी कार्यभार संभालने से पहले इस संस्था से जुड़े रहे हैं।...

हत्या को बलात्कार बता दुष्प्रचार के पीछे का मकसद हिंदू-मुस्लिम के बीच बैर को बढ़ाना है?

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द एक्सपोज़ एक्सप्रेस. राजनैतिक दल सभी घटनाओं का राजनीतिकरण कर देते हैं। यह इतने गिर चुके हैं कि एक तीन साल की बच्ची ट्विंकल शर्मा की मौत को भी इन्होंने राजनैतिक और धार्मिक रंग दे दिया है। साथ ही उसके मौत पर इतना झूठ फैलाया कि ट्विंकल की आत्मा इन्हें धिक्कार रही होगी। लेकिन इन लोगों को परवाह नहीं। ट्विंकल की मौत को रेप का नाम दे हिन्दुओं को मुसलमान के खिलाफ भड़का कर राजनैतिक उल्लू सीधा करने वाले ये वही लोग हैं जिनके सांसद रेप के आरोप में अपनी पार्टी के सजायाफ्ता पूर्व विधायक को चुनाव में सहायता करने के लिए धन्यवाद कहने जाते हैं। ये वही लोग हैं जो आसिफा के बलात्कारियों को बचाने के लिए तीरंगा यात्रा निकालते हैं। अब सोचने वाली बात है कि वैसे लोग जो बलात्कारियों के साथ हमदर्दी रखते हैं क्या उन्हें सच में ट्विंकल की मौत का गम है?                              ऐसा तो बिल्कुल नहीं लगता। हिंदू बच्ची ट्विंकल की हत्या मुस्लिम युवकों के हाथ हुई। दो मुस्लिम ...

एएन32 का नौ दिन बाद भी कोई सुराग नहीं, लेकिन राष्ट्रवादी कहीं दिख नहीं रहे

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द एक्सपोज़ एक्सप्रेस. "भारतीय वायु सेना के चार दिन से लापता विमान का अब तक कोई सुराग नहीं। शायद उस विमान को एलियन ले गए। जी हां ठीक सुना आपने, शायद उस विमान को एलियन ले गए।" इतने संवेदनशील मुद्दे पर ऐसी भद्दी रिपोर्टिंग हो रही है हमारे बड़े न्यूज चैनलो में। शायद ऐसी रिपोर्टिंग जानबूझकर करवाई जा रही हो जिससे लोगों का ध्यान मुद्दे से भटक जाए और वो एलियन की शोर में खो जाएं।                                            रूस निर्मित सैन्य परिवहन विमान एएन32 बीते 3 जून से लापता है। घोर तलाशी अभियान के बावजूद कुछ सुराग नहीं मिल पा रहा। स्थिति इतनी खराब है कि वायु सेना को विमान का सुराग बताने वाले को 5 लाख रुपए देने की घोषणा करनी पड़ी है। लेकिन अब तक स्वघोषित राष्ट्रवादियों का न तो राष्ट्रवाद जाग पाया है और न ही न्यूज चैनल पर बहसबाजी हो रही है। आखिर ऐसा क्यों है?   असम के जोरहाट एयरबेस से उड़ान भरने के बाद एएन32 में 13 लोग सवार थे। विमान का आखिरी लोकेशन चीन सीमा के पास बताया जा...

समस्तीपुर के ताजपुर थाना अंतर्गत स्थित खुदनेश्वर स्थान है हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक

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द एक्सपोज़ एक्सप्रेस. खुदनी और ईश्वर के मेल से बना है खुदनेश्वर। लेकिन वृहद स्तर पर इसे खुदा + ईश्वर कहें तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। खुदा और ईश्वर को एक जगह मजबूती से पकड़े रखने वाला यह मंदिर बिहार के समस्तिपुर जिला के ताजापुर थानांतर्गत आने वाले मोरवा गांव में स्थित है एवं सदियों से हिंदू-मुस्लिम को एक सूत्र में पीड़ोने का काम कर रहा है।                                                सबसे पहले सन 1858 में यहां मंदिर बनाया गया। बढ़ते समय के साथ कई बार पुनर्निर्माण हुआ। मंदिर के गर्भ गृह में एक ओर शिवलिंग तो दूसरी ओर मजार है। शिवलिंग की कहानी रोचक है। काफी वर्षों पहले यहां एक मुस्लिम महिला खुदनी बीवी गाय चराने आया करती थी। एक दिन उसे इस जगह पर कुछ चमत्कार जैसा लगा। उसने गांव वालों को यह बात बताई, जिसके बाद उन्होंने कुदाल से इस जगह की खुदाई कर शिवलिंग क...

शव को पेड़ से लटकाकर न्याय मांगते हैं गुजराती

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द एक्सपोज़ एक्सप्रेस. शव को लटकाकर न्याय और मुआवजा मांगने की प्रथा है चाडोतारो। गुजरात के पोशिना, खेद्रम्हा, वडाली, विजयनगर जैसे आदिवासी इलाकों में यह काफी लंबे समय से प्रचलन में है। डुंगरी गरासिया भील आदिवासियों में यह सबसे अधिक प्रचलित है। मुआवजा मांगने के इस तरीके का उपयोग उस समय होता है जब मृतक के परिजन को मृत्यु का कारण अप्राकृतिक लगे।                     अप्राकृतिक कारणों से मौत की आशंका होते ही परिजन शव के अंतिम संस्कार में देरी करने का निर्णय लेते हैं, जो कि महीनों तक हो सकती है और शव को कहीं लटका देते हैं, जिससे गुनाह करने वाला अपना जुर्म कबूल कर ले और मृतक के परिजनों को मुआवजा दे। मुआवजा को परिजनों और पंचायत अधिकारियों में बांट दिया जाता है।                          पुलिस-प्रशासन इस प्रथा को बंद कराने में लगी है। इसके लिए समय-समय पर गिरफ्तारी भी होती है लेकिन ...

रोजगार देने फिसड्डी मोदी सरकार, छह साल में तीन गुणा बढ़ी बेरोजगारी

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द एक्सपोज़ एक्सप्रेस. 9/06/2019 केंद्रीय सांख्यिकी मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक युवाओं को रोजगार मुहैया कराने में सरकार फिसड्डी साबित हुई है। मंत्रालय के अनुसार 15-29 साल के ग्रामीण युवाओं में बेराजगारी दर 2004-5 की तुलना में चार गुणी वहीं 2011-12 की तुलना में तीन गुणा बढ़ी है।      17.4% ग्रामीण युवा बेरोजगार                             हाल में जारी आवधिक श्रमबल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) में 15-29 साल के युवाओं में बेरोजगारी के अलग से आंकड़े एकत्र किए गए हैं। इसके मुताबिक 2011-12 में 15 से 29 वर्ग के युवकों में बेरोजगारी की दर 5% थी जो 2017-18 में बढ़कर 17.4% हो गई। यह शहरी क्षेत्र के युवाओं में बेरोजगारी दर से महज एक फीसदी कम है। सर्वे के मुताबिक गत छह साल में 15 से 29 वर्ष की उम्र की शहरी युवतियों में बेरोजगारी सबसे तेजी से बढ़ी है। साल 2011-12समें यह 13.1% था जो अब बढ़कर 27.2% हो गया है। इस दौरान ग्रामीण युवतियों में बेरोजगारी दर 4.8% से बढ़कर 13.6% हो गई।

मुस्लिम देश से हिंदू मोदी ने क्यों की विदेश यात्रा का श्री गणेश

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द एक्सपोज़ एक्सप्रेस. नेबर फर्स्ट (पड़ोसी पहले) पॉलिसी के तहत प्रधानमंत्री मोदी ने मालदीव से विदेश यात्रा की शुरुआत की। इसके बाद वह श्रीलंका जाएंगे। साल 2014 में पहली बार प्रधानमंत्री बनने के बाद भी मोदी इसी पॉलिसी के तहत पहले विदेश दौरे पर भूटान गए थे।   यह मोदी का दूसरा मालदीव दौरा है। इससे पहले साल 2018 में राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह के शपथ ग्रहण समारोह में मोदी मालदीव गए थे, जिससे भारत-मालदीव के बिगड़ते रिश्ते पटरी पर लौटने शुरु हुएं।             मालदीव में पाकिस्तान से मुंह की खानी पड़ी मालदीव के पिछले राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के समय भारत-मालदीव के रिश्ते जहां खराब हुए, वहीं चीन-मालदीव के रिश्ते प्रगाढ़ हुए। यामीन के समय मालदीव को लेकर भारत को पाकिस्तान से भी मुंह की खानी पड़ी थी। पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने जब आपातकाल लगाया था तो भारत मालदीव की मदद के लिए आगे आया था। भारत ने मालदीव को सैन्य मदद देने की बात भी कही थी, लेकिन मालदीव ने यह कहकर इनकार कर दिया था कि पाकिस्तान उसका सहयोग कर रहा है। जिसके जवाब म...

रेलवे करेगी आपकी मसाज

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द एक्सपोज़ एक्सप्रेस. इंदौर से खुलने वाली ट्रेनों में रेलवे की ओर से मसाज सेवा उपलब्ध कराई जाएगी। यात्री 100 रुपए का भुगतान कर इस सेवा का आनंद उठा सकते हैं। अधिकारियों की मानें तो शुरुआत में यह सेवा इंदौर से खुलने वाली 39 ट्रेनों में लागू होगी। इन ट्रेनों में 3-5 मसाजी उपलब्ध रहेंगे, जिनकी सेवा सुबह 6 से रात के 10 बजे तक ली जा सकती है। भारत में रेलवे की ओर से इस तरह का यह पहला प्रयोग है। रेलवे को उम्मीद है कि इस सेवा से उसे सलाना 20 लाख रुपए का लाभ होगा।

यादवों को बदनाम करने की कोशिश ताकि पिछड़ी जातियों में बैर बढ़े

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यादव पिछड़ी जातियों की रीढ़ की हड्डी हैं। इनकी कोशिशों से ही पूरा पिछड़ा समाज खड़ा हो पाने में समर्थ हो सका है। इसलिए सामंतियों की कोशिश होती है कि इस हड्डी को तोड़कर पूरे पिछड़ा समाज को फिर से अपंग बना दिया जाए। अपने प्रयोजन को सफल बनाने के लिए सामंती लोग, जिनकी मानसिकता ही है दलित-पिछड़ों का शोषण करना, वे परोक्ष-अपरोक्ष रूप से यादवों पर हमला करते रहते हैं। अनुमान के मुताबिक हिंदुओं की कुल संख्या का 16-18% के करीब यादव हैं, जबकि उच्च जातियों की जनसंख्या 12-13% के करीब। अर्थात यादवों की जनसंख्या उच्च जातियों की जनसंख्या से करीब 4-5% तक अधिक है। उच्च जातियों की यादवों से घृणा का सबसे बड़ा कारण यही है। अपने संख्या बल और क्षत्रिय वंश के कारण यादव सामंतियों को उसी की भाषा में जवाब देते हैं। पिछड़ी जातियों को उठाने के लिए यादवों ने खूब संघर्ष किया है। पिछड़ा आयोग के अध्यक्ष के तौर पर बीपी मंडल(यादव) ने शोषित सभी जातियों को ओबीसी लिस्ट में शामिल कर उनके विकास के लिए रास्ता बनाया। मुलायम सिंह यादव, लालू प्रसाद यादव, शरद यादव जैसे लोगों ने मंडल कमीशन को लागू कराने के लिए सड़क से संसद तक ...

हिंदू देवताओं का प्रिय भोग रहा गौमांस, बुद्ध के कारण माता का दर्जा

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इंद्रदेव को सांड का मांस और अग्निदेव को सांड और गौ मांस  का भोग चढ़ाया जाता था। मारूत और अश्विन को भी गौ मांस का भोग काफी प्रिय था। महाभारत में भी गौ मांस का जिक्र है। उसमें रंतीदेव नामक राजा का उल्लेख है जिन्होंने ब्राह्मणों को अनाज और गौ मांस का दान कर खूब मान-सम्मान कमाया। तैत्तिरीय ब्राह्मण में तो गौ मांस को साफ-साफ भोजन बता दिया गया है। याज्ञवल्क्य का गौमांस खाने के प्रति आग्रह सर्वविदित है। बाद के ब्राह्मणवादी ग्रथों में भी  गोमांस खाने के काफी सारे सबूत हैं। यहां तक ​​कि मनुस्मृति में भी गोमांस के सेवन पर प्रतिबंध नहीं दिखता। देवताओं के भोग के अतिरिक्त गौमांस का उपयोग चिकित्सा क्षेत्र में भी होता रहा है। चरक संहिता के चिकित्सीय खंड (पृष्ठ 86-87) में गाय के मांस को विभिन्न रोगों की दवा के रूप में निर्धारित किया गया है। गौमांस को सूप बनाकर पीने का भी जिक्र है। इसे अनियमित बुखार, खपत, और उत्सर्जन के लिए एक इलाज के रूप में सशक्त रूप से सलाह दी जाती थी। गाय की चर्बी की सिफारिश दुर्बलता और गठिया के लिए की जाती थी। इन सबूतों से स्पष्ट है कि गौंमांस संबंधित प्रचलित-प्रचार...

प्रताप सारंगी:- घिनौने करतूत को छुपाने के लिए सादगी का चोला

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जितना बताया जा रहा उतने सीधे नहीं सारंगी मोदी सरकार में राज्य मंत्री बने प्रताप सारंगी की खूब चर्चा हो रही है। फेसबुक, वाट्सएप, ट्विटर सभी जगह उनकी सादगी की कहानी तैर रही है। सादगी के बहाने सारंगी अचानक से मीडिया के नए सेंसेशन बन चुके हैं। लेकिन इस सादगी के पीछे छुपा है एक काला चेहरा। सारंगी पर दंगा भड़काने, रंगदारी, सरकारी संपत्ति को क्षति पहुंचाने जैसे सात बड़े मामले दर्ज हैं। कई मामलों में चार्जशीट भी हुई हैं। इन आरोपों की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इनमें से अधिकतर मामले उस समय दर्ज हुए जब ओड़िशा में भाजपा-बीजद की गठबंधन सरकार थी। ऐसा बताया जा रहा है कि सारंगी क्रिश्चियन मिशनरियों के  खिलाफ हमेशा उग्र रहे हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण साल 1999 में ऑस्ट्रेलियाई नागरिक ग्राहम स्टैंस और उनके दो बच्चों की हत्या से जुड़ा मामला है। ग्राहम स्टैंस अपने परिवार के साथ ओड़िशा में कुष्ठ रोगियों की सेवा करते थे। दक्षिणपंथी ताकतों ने उनपर धर्मांतरण के आरोप लगाएं। एक रात जब वे अपने दो बेटों(11 साल और 7साल) के साथ सो रहे थे तब बजरंग दल ने उनकी गाड़ी में आग लगा दी। उस ...

सैंकड़ों वर्षों से दलित-पिछड़े क्यों

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नीतीश का राजनीतिक रेप (political rape of Nitish)

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नीतीश का राजनीतिक रेप Political rape of nitish बिहार के मुख्यमंत्री और जद(यू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार का राजनीतिक बलात्कार हो चुका है। नीतीश की स्थिति बलात्कार पीड़ित उन महिलाओं की तरह हो गई है जो बलात्कार के कारण घोर पीड़ा और अवसाद में होती हैं लेकिन जगहंसाई के कारण किसी से अपना दुख बांटती नहीं। नीतीश अंदर से काफी दुखी हैं। ऐसा उनके चेहरे से पता भी चलता है, लेकिन खुलकर जाहिर नहीं कर रहें। भाजपा और जद(यू) 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। भाजपा ने सभी सीटों पर जीत दर्ज की वहीं नीतीश 16 सीट जीतने में सफल रहें। ऐसे में नीतीश को आशा थी कि मंत्रीमंडल में उन्हें कम से कम 3 सीटें दी जाएंगी लेकिन भाजपा एक से ज्यादा सीट देने को तैयार नहीं थी। इस मुद्दे को लेकर खूब उठा-पटक हुआ और "डैमेज कंट्रोल" के लिए  नतीजा निकला कि जद(यू) मंत्रीमंडल से बाहर रहेगी। मंत्रीमंडल से बाहर रहने के फैसले के बाद सिर बचाने के लिए नीतीश ने कहा कि जनता ने किसी चेहरे को देखकर वोट नहीं किया, जो कि मोदी पर सीधा हमला था। नीतीश का जलवा ऐसा था कि वह अटल-आडवाणी की आंखों में आंखें डाल बात करते थे। भाजपा ...

जय श्री राम का नारा लगा अव्यवस्था फैलाने वाले जनेऊधारी क्यों करते कृष्ण से बैर?

एक दिन मैंने फेसबुक पर लिखा कि श्री कृष्ण राष्ट्र_देवता हैं। मेरे द्वारा पोस्ट शेयर करने के कुछ सेकंड के अंदर ही मेरे मित्र सूची में शामिल एक मित्र जो कि जनेऊधारी हैं और सरकार में ऊंचे पद पर आसीन हैं ने तपाक से कंमेट किया-" कृष्ण शूद्र थे और इस कारण वह राष्ट्र देवता नहीं बन सकते। राम उच्च कुल में जन्में थे, अतः वह ही राष्ट्र देव हो सकते हैं।"                                  ऐसे उत्तर सुनकर मैं अवाक रह गया। ये तथाकथित उच्च जात के लोग इंसान तो क्या भगवान से भी जात-पात कर लेते हैं। 

काग(कौआ), शूद्र और जनेऊधारी की कहानी

एक शूद्र और एक काग(कौआ) दोस्त थें। काग एक जनेऊधारी द्वारा अपने शूद्र दोस्त को बिना मतलब बार-बार पीटे जाने से आहत था।     उसने जनेऊधारी से बदला लेने की ठानी। उसे पता था कि अगर वह जनेऊधारी के घर की छत पर जाकर बैठ जाएगा तो वह जनेऊधारी उस घर को अपशकुन मान वहां रहना छोड़ देगा। अगले दिन सुबह-सुबह वह जनेऊधारी के छत पर जा बैठा, जिसके कारण जनेऊधारी को वह घर छोड़ना पड़ा। अब बदला लेने की बारी जनेऊधारी थी। वह अच्छे मौके की ताक में था। एक दिन जब काग अपने शूद्र मित्र से मिलकर जा रहा था तब जनेऊधारी पीछे से चिल्लाया-" काग तुम्हारा कान काटकर ले जा रहा है। उसने मित्र बनकर तुम्हें बेवकूफ बनाया। पकड़ो उसे।" यह सुनते ही शूद्र काग के पीछे दौड़ने लगा और जब उसे पकड़ नहीं पाया तो गुलेल से मार गिराया। उसकी चोंच में कान न देखकर उसे बहुत दुख हुए। शूद्र के पीछे खड़ा जनेऊधारी हंस रहा था। शिक्षा:- शूद्रों की खासियत है कि जो भी उसे जनेऊधारियों के अत्याचार से बचाता है, वह उसे ही खत्म कर देता है, वह भी जनेऊधारियों के बहकावे में आकर।

हवस जितनी भी थी

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अमात जाति का इतिहास

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                  अमात समाज के ज्यादातर पढ़े-लिखे लोग जो अमात जात के इतिहास पर शोध कर रहे हैं, उनके अनुसार अमात शब्द अमात्य का अपभ्रंश है। इस मत को नकारा भी नहीं जा सकता। योग्य होने पर किसी भी जात का व्यक्ति अमात्य बन सकता था। लेकिन इतिहास देखे तो ज्ञात होता है कि कुछ अवसरों को छोड़ दिया जाए तो अमात्य पद के लिए सामान्यतः ब्राह्मण और क्षत्रिय को ही प्राथमिकता दी जाती थी। अतः कालांतर में यह एक जात/वर्ग के रूप में विकसित हुआ। जिसके सदस्य सामान्यतः अपने वर्ग में ही वैवाहिक संबंध स्थापित करते थे। चाणक्य और उनके द्वारा उद्घृत चिंतकों ने अमात्यों के लिए अनेक गुण विहित किए हैं। किंतु सभी ने अभिजात्य गुण को आवश्यक बताया है। जैसे जिसके पिता और दादा अमात्य रहे हों। यह संदेहास्पद है कि प्रथम दो वर्णों के सिवा किसी अन्य वर्ण में अभिजात्य की योग्यता मिल सकती है। मेगास्थनीज के अनुसार निम्न वर्णों के लिए उच्च पदों पर पहुंचने के द्वार बंद थे। उन्होंने कहा है कि न्यायपालिका और कार्यपालिका पर एक पेशेवर वर्ग के लोग ही नियुक्त किए जाते थे। कात्यायन जोर दे...