काग(कौआ), शूद्र और जनेऊधारी की कहानी

एक शूद्र और एक काग(कौआ) दोस्त थें।
काग एक जनेऊधारी द्वारा अपने शूद्र दोस्त
को बिना मतलब बार-बार पीटे जाने से
आहत था।
    उसने जनेऊधारी से बदला लेने की ठानी।
उसे पता था कि अगर वह जनेऊधारी के घर
की छत पर जाकर बैठ जाएगा तो वह जनेऊधारी
उस घर को अपशकुन मान वहां रहना छोड़ देगा।
अगले दिन सुबह-सुबह वह जनेऊधारी के छत पर
जा बैठा, जिसके कारण जनेऊधारी को वह घर
छोड़ना पड़ा।
अब बदला लेने की बारी जनेऊधारी थी। वह
अच्छे मौके की ताक में था। एक दिन जब
काग अपने शूद्र मित्र से मिलकर जा रहा
था तब जनेऊधारी पीछे से चिल्लाया-" काग
तुम्हारा कान काटकर ले जा रहा है। उसने मित्र
बनकर तुम्हें बेवकूफ बनाया। पकड़ो उसे।"
यह सुनते ही शूद्र काग के पीछे दौड़ने लगा
और जब उसे पकड़ नहीं पाया तो गुलेल से मार
गिराया। उसकी चोंच में कान न देखकर उसे बहुत दुख
हुए। शूद्र के पीछे खड़ा जनेऊधारी हंस रहा था।

शिक्षा:- शूद्रों की खासियत है कि जो भी उसे जनेऊधारियों
के अत्याचार से बचाता है, वह उसे ही खत्म कर देता है, वह भी जनेऊधारियों के बहकावे में आकर।

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