क्या चमार जाति के लोग ब्राह्मणों के वंशज है?


जागो इंडिया.
चमरे के व्यवसाय से जुड़े चमार जाति के लोग अछूत थे। हालांकि प्रसव से लेकर शादी-ब्याह और पर्व-त्योहार के दौरान इनकी मौजूदगी आवश्यक थी। सुनने में अजीब लगेगा, लेकिन दंत-कथाओं के अनुसार चमार के पूर्वज ब्राह्मण थे। संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के लिए लिखे अपने शोध पत्र   मिथिलाक सांस्कृतिक अनुशीलन में दीप नारायण ठाकुर ने भी इसका जिक्र किया है। दंत कथा के अनुसार एक परिवार में चार ब्राह्मण भाई थे। एक दिन उनका पशु मर गया। सबसे छोटे भाई को पशु को हटाने की आज्ञा दी गई। आदेश सुनकर उसने जनेऊ को बेल के पेड़ पर रख दिया और मृत पशु को फेंकने निकल गया। जब वह वापस लौटा तो उसे जात से निकाल दिया गया। आने वाले समय में समाज के सभी मृत पशुओं को उसे हटाने की आज्ञा उसे ही दी जाने लगी। उसके वंशज ही चमार कहे जाने लगें।

Comments

  1. ये कहाँ की अनर्गल बीते कर रहे हो । भला ऐसे भी कोई जाति से निकल सकता है । अगर ज्यादा ही इतिहाकर बनना चाहते हो तो सम्पर्क कीजिये और मेरे कुछ सवालों का जवाब दयनीय 9084383804

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    1. जब मैल से और स्पर्म निगलने से बच्चा पैदा हो सकता है तो फिर इस तरह जाती क्यों नहीं निकल सकती

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  2. सही कहा मेने मिथिलाक सांस्कृतिक अनुशीलन में पेज नंबर 79 पर जो आपने लिखा है वैसा ही पढ़ा
    बहुत अच्छी जानकारी आपने दी
    धन्यवाद
    जय श्री राम

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  3. मैंने भी सुना था

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  4. Yahan sabhi log chamar Hain chamar ka matlab hota hai cha se chamda man se man se rakt aasti ine Charon chijon ke Mela ke manushya banta hai

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  5. मैने भी सुन था और आज यकीन भी हो गया

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