एएन32 का नौ दिन बाद भी कोई सुराग नहीं, लेकिन राष्ट्रवादी कहीं दिख नहीं रहे
द एक्सपोज़ एक्सप्रेस.
"भारतीय वायु सेना के चार दिन से लापता विमान का अब तक कोई सुराग नहीं। शायद उस विमान को एलियन ले गए। जी हां ठीक सुना आपने, शायद उस विमान को एलियन ले गए।" इतने संवेदनशील मुद्दे पर ऐसी भद्दी रिपोर्टिंग हो रही है हमारे बड़े न्यूज चैनलो में। शायद ऐसी रिपोर्टिंग जानबूझकर करवाई जा रही हो जिससे लोगों का ध्यान मुद्दे से भटक जाए और वो एलियन की शोर में खो जाएं।
रूस निर्मित सैन्य परिवहन विमान एएन32 बीते 3 जून से लापता है। घोर तलाशी अभियान के बावजूद कुछ सुराग नहीं मिल पा रहा। स्थिति इतनी खराब है कि वायु सेना को विमान का सुराग बताने वाले को 5 लाख रुपए देने की घोषणा करनी पड़ी है। लेकिन अब तक स्वघोषित राष्ट्रवादियों का न तो राष्ट्रवाद जाग पाया है और न ही न्यूज चैनल पर बहसबाजी हो रही है। आखिर ऐसा क्यों है?
असम के जोरहाट एयरबेस से उड़ान भरने के बाद एएन32 में 13 लोग सवार थे। विमान का आखिरी लोकेशन चीन सीमा के पास बताया जा रहा है। वही चीन जो आज सुपर पॉवर है। जिसने आधा से ज्यादा भारतीय बाजार पर कब्जा जमा लिया है। जो भारत में मेट्रो, मूर्तियां, सेना के लिए बंदूक और न जाने क्या-क्या बना रहा है। चीन निर्मित सामानों के विज्ञापन से जहां न्यूज चैनल खूब कमा रहे हैं, वहीं चीन को दिए जाने वाले टेंडर से सरकार में शामिल लोग भी खूब कमा रहे होंगे इसमें भी कोई दो राय नहीं।
शायद यही कारण है जो स्वघोषित राष्ट्रभक्त पत्रकार इस मुद्दे पर किसी भी तरह का प्राइम टाइम बहस करने से बच रहे हैं। वह चीन को गुस्सा दिलाना नहीं चाह रहे। सोशल मीडिया के फर्जी देशभक्त भी चुप हैं। फेसबुक, वाट्सएप, ट्विटर पर इस मुद्दे को लेकर सन्नाटा छाया हुआ है। देशभक्त पार्टियों की आईटी सेल की ओर से कोई भी भड़काऊ मैसेज फॉरवार्ड नहीं की जा रही। कार्यकर्ताओं की ओर से यज्ञ और हवन भी नहीं आयोजित किया जा रहा। मामला चीन का जो है।
मान लीजिए यह दुर्घटना पाकिस्तान सीमा के पास होती तो क्या होता? दिनभर न्यूज चैनलों पर कुत्तों की तरह चिल्लाने वाले एंकर अपनी बातों से लोगों को भड़काते। इस मामले पर दिनभर बहस करते।
चूंकी मामला चीन का है और चीन से स्वघोषित राष्ट्रभक्तों का आर्थिक हित जुड़ा है, इसलिए इस मुद्दे को ज्यादा तूल नहीं दिया जा रहा और न ही लोगों को चीन के खिलाफ भड़काया जा रहा है। यही है बरसाती राष्ट्रवाद।
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