मुजफ्फरपुर इंसेफ्लाइटिस पर नीतीश को टारगेट क्यों कर रही गोदी मीडिया
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अगले साल होने वाली विधान सभा चुनाव के बाद भी बिहार के मुख्यमंत्री बने रहे इसमें संदेह है। भाजपा हर संभव कोशिश कर रही है, जिससे नीतीश को दबाया जाए। नीतीश कुमार बिहार एनडीए में अब तक बड़े भाई की भूमिका निभाते आए हैं। हाल के कुछ महीनों को छोड़ दिया जाए तो उन्हें नंबर दो करने की हिम्मत भाजपा ने कभी नहीं दिखाई। लेकिन अब हालात बदल चुके हैं।
भाजपा नीतीश कुमार को नीचा दिखाने का एक भी मौका नहीं छोड़ रही है। इसका हालिया उदाहरण मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार(एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम) की वजह से हो रही बच्चों की मौत है। बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय भाजपा कोटा से हैं। लेकिन घटना का दोषी नीतीश कुमार को बनाया जा रहा है। ध्यान देने वाली बात है कि विभिन्न तरह की इंसेफ्लाइटिस से जुड़ा टीकाकरण का कार्यक्रम केंद्र प्रायोजित है। अतः टीकाकरण का कार्यक्रम अगर सुचारू रूप से नहीं चल रहा तो इसकी जिम्मेवार केंद्र सरकार है। बिहार के अलावा उत्तर प्रदेश और उड़ीसा में भी टीकाकरण की स्थिति विकट है। गुजरात में इंसेफ्लाइटिस जैसी समस्या नहीं है, लेकिन वैसे स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या बिहार से दोगुनी है, जहां टीकाकरण की व्यवस्था नदारद है। क्या इस सभी की भी जिम्मेवारी नीतीश कुमार की बनती है?
बोल चाल की भाषा में जिसे गोदी मीडिया कहा जाता है, वह अपने हर लाइन में घटना का जिम्मेवार नीतीश को बता रही है। शायद उन्हें ऐसा करने कहा गया है। मीडिया जो कहती है, अपने विवेक का इस्तेमाल नहीं करने वालों के लिए वह लक्ष्मण रेखा बन जाती है। लोगों की सोच उससे आगे जा नहीं पाती। भाजपा ने अपने इस हथियार का प्रयोग काफी अच्छे तरीके से करते आई है, खासकर बीते 7-8 वर्षों में। इस हथियार से कांग्रेस-राजद जैसी पार्टियां अपने सबसे बुड़े दौर में पहुंच चुकी है।
साल 2014 में इंसेफ्लाइटिस से सुरक्षा के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री रहते हर्षवर्धन ने जो भी घोषणाएं की थी उसमें से एक भी पूरी नहीं हो इसकी। बावजूद इसके मीडिया की ओर से उनसे न तो प्रश्न पूछा गया और न ही घटना का जिम्मेवार बताया गया। हालांकि एक बड़े चैनल के मीडिया बंधु ने उनकी पीठ इसलिए जरूर थपथपा दी क्योंकि वह तीन दिन बिहार में रहकर आए थे। इससे स्पष्ट होता है कि मीडिया भाजपा के इशारे पर नीतीश कुमार को टारगेट कर रही है।
पिछड़े, अतिपिछड़े और दलित नीतीश के मुख्य वोटर हैं। लेकिन मीडिया-सोशल मीडिया के जरिए भाजपा के भयानक प्रचार के कारण इन सभी वर्ग का एक बड़ा हिस्सा नरेंद्र मोदी की तरफ झुक गया है। शौचालय, गैस कनेक्शन जैसी योजनाएं और पाकिस्तान पर अति प्रचारित सर्जिकल स्ट्राइक जैसे मुद्दे के कारण वो नीतीश पर मोदी को तरजीह दें इसपर कोई दो राय नहीं।
आने वाला समय नीतीश कुमार के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। उन्हें हर कदम फूंक-फूंक कर रखना होगा। लोगों में अपनी छवि को धूमिल करने के भाजपा के प्रयास को कुचलना होगा। थोड़ी सी भी चूक होने पर भाजपा उन्हें निगल जाएगी और उनका भी वही हाल होगा जो लालू की राजद का हुआ है।
भाजपा नीतीश कुमार को नीचा दिखाने का एक भी मौका नहीं छोड़ रही है। इसका हालिया उदाहरण मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार(एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम) की वजह से हो रही बच्चों की मौत है। बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय भाजपा कोटा से हैं। लेकिन घटना का दोषी नीतीश कुमार को बनाया जा रहा है। ध्यान देने वाली बात है कि विभिन्न तरह की इंसेफ्लाइटिस से जुड़ा टीकाकरण का कार्यक्रम केंद्र प्रायोजित है। अतः टीकाकरण का कार्यक्रम अगर सुचारू रूप से नहीं चल रहा तो इसकी जिम्मेवार केंद्र सरकार है। बिहार के अलावा उत्तर प्रदेश और उड़ीसा में भी टीकाकरण की स्थिति विकट है। गुजरात में इंसेफ्लाइटिस जैसी समस्या नहीं है, लेकिन वैसे स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या बिहार से दोगुनी है, जहां टीकाकरण की व्यवस्था नदारद है। क्या इस सभी की भी जिम्मेवारी नीतीश कुमार की बनती है?
बोल चाल की भाषा में जिसे गोदी मीडिया कहा जाता है, वह अपने हर लाइन में घटना का जिम्मेवार नीतीश को बता रही है। शायद उन्हें ऐसा करने कहा गया है। मीडिया जो कहती है, अपने विवेक का इस्तेमाल नहीं करने वालों के लिए वह लक्ष्मण रेखा बन जाती है। लोगों की सोच उससे आगे जा नहीं पाती। भाजपा ने अपने इस हथियार का प्रयोग काफी अच्छे तरीके से करते आई है, खासकर बीते 7-8 वर्षों में। इस हथियार से कांग्रेस-राजद जैसी पार्टियां अपने सबसे बुड़े दौर में पहुंच चुकी है।
साल 2014 में इंसेफ्लाइटिस से सुरक्षा के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री रहते हर्षवर्धन ने जो भी घोषणाएं की थी उसमें से एक भी पूरी नहीं हो इसकी। बावजूद इसके मीडिया की ओर से उनसे न तो प्रश्न पूछा गया और न ही घटना का जिम्मेवार बताया गया। हालांकि एक बड़े चैनल के मीडिया बंधु ने उनकी पीठ इसलिए जरूर थपथपा दी क्योंकि वह तीन दिन बिहार में रहकर आए थे। इससे स्पष्ट होता है कि मीडिया भाजपा के इशारे पर नीतीश कुमार को टारगेट कर रही है।
पिछड़े, अतिपिछड़े और दलित नीतीश के मुख्य वोटर हैं। लेकिन मीडिया-सोशल मीडिया के जरिए भाजपा के भयानक प्रचार के कारण इन सभी वर्ग का एक बड़ा हिस्सा नरेंद्र मोदी की तरफ झुक गया है। शौचालय, गैस कनेक्शन जैसी योजनाएं और पाकिस्तान पर अति प्रचारित सर्जिकल स्ट्राइक जैसे मुद्दे के कारण वो नीतीश पर मोदी को तरजीह दें इसपर कोई दो राय नहीं।
आने वाला समय नीतीश कुमार के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। उन्हें हर कदम फूंक-फूंक कर रखना होगा। लोगों में अपनी छवि को धूमिल करने के भाजपा के प्रयास को कुचलना होगा। थोड़ी सी भी चूक होने पर भाजपा उन्हें निगल जाएगी और उनका भी वही हाल होगा जो लालू की राजद का हुआ है।
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