मुस्लिम देश से हिंदू मोदी ने क्यों की विदेश यात्रा का श्री गणेश

द एक्सपोज़ एक्सप्रेस.
नेबर फर्स्ट (पड़ोसी पहले) पॉलिसी के तहत प्रधानमंत्री मोदी ने मालदीव से विदेश यात्रा की शुरुआत की। इसके बाद वह श्रीलंका जाएंगे। साल 2014 में पहली बार प्रधानमंत्री बनने के बाद भी मोदी इसी पॉलिसी के तहत पहले विदेश दौरे पर भूटान गए थे।
  यह मोदी का दूसरा मालदीव दौरा है। इससे पहले साल 2018 में राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह के शपथ ग्रहण समारोह में मोदी मालदीव गए थे, जिससे भारत-मालदीव के बिगड़ते रिश्ते पटरी पर लौटने शुरु हुएं।
           
मालदीव में पाकिस्तान से मुंह की खानी पड़ी

मालदीव के पिछले राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के समय भारत-मालदीव के रिश्ते जहां खराब हुए, वहीं चीन-मालदीव के रिश्ते प्रगाढ़ हुए। यामीन के समय मालदीव को लेकर भारत को पाकिस्तान से भी मुंह की खानी पड़ी थी। पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने जब आपातकाल लगाया था तो भारत मालदीव की मदद के लिए आगे आया था। भारत ने मालदीव को सैन्य मदद देने की बात भी कही थी, लेकिन मालदीव ने यह कहकर इनकार कर दिया था कि पाकिस्तान उसका सहयोग कर रहा है। जिसके जवाब में जून 2018 में मालदीव की प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव के सांसद अहमद निदान जब भारत आए तो उन्हें चेन्नई एयरपोर्ट पर ही रोक लिया गया और पूछताछ के बाद कथित तौर पर वापस भेज दिया गया। रिश्ते इतने खराब हो गए थे कि मालदीव ने भारत से मिले दो नेवी हेलिकॉप्टर भी लौटा दिए थे।

चीन के चक्रव्यूह को तोड़ने की कोशिश

चीन का वन बेल्ट-वन रोड प्रोजेक्ट मालदीव के मारू और श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह से गुजरेगा। इसके जरिए चीन भारत को घेरने की कोशिश कर रहा है। अगर भारत मालदीव को अपनी ओर झुकाने में कामयाब हुआ तो चीन की मंशा पर पानी फिर जाएगी। 
                   मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन, जिन्हें चीन का करीबी माना जाता है। उन्होंने 2015 में चीन के फायदे के लिए संविधान बदल दिया, जिसके तहत अगर कोई कंपनी देश में 1 अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश करती है तो वो वहां जमीन खरीद सकती है। उसके बाद चीन ने मालदीव के फेधू फिनोलू द्वीप को 4 लाख डॉलर देकर 50 साल के लिए लीज पर ले लिया। अगर चीन यहां अपना रडार स्टेशन बनाता है तो इससे वह भारत के पश्चिमी तट को कवर कर लेगा। जो रक्षा के नजरिए से भारत के लिए खतरनाक है। मालदीव रक्षा और सामरिक दृष्टिकोण से भारत के लिए बहुत जरूरी है। भारत मालदीव में 10 कोस्टल सर्विलांस रडार सिस्टम (सीएसआरएस) तैनात करने की योजना बना रहा है। वहीं भारत को घेरने के लिए चीन की योजना है कि मालदीव में नौसैनिक बेस बनाने की है।

आईएस का खतरा
आईएस मालदीव में पैर पसार रहा है। हाल ही में दो सौ मालदीव नागरीक ने आईएस की सदस्यता ली है। अगर आईएस मालदीव में मजबूत होता है तो भारत को बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी। 

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