हत्या को बलात्कार बता दुष्प्रचार के पीछे का मकसद हिंदू-मुस्लिम के बीच बैर को बढ़ाना है?
द एक्सपोज़ एक्सप्रेस.
राजनैतिक दल सभी घटनाओं का राजनीतिकरण कर देते हैं। यह इतने गिर चुके हैं कि एक तीन साल की बच्ची ट्विंकल शर्मा की मौत को भी इन्होंने राजनैतिक और धार्मिक रंग दे दिया है। साथ ही उसके मौत पर इतना झूठ फैलाया कि ट्विंकल की आत्मा इन्हें धिक्कार रही होगी। लेकिन इन लोगों को परवाह नहीं। ट्विंकल की मौत को रेप का नाम दे हिन्दुओं को मुसलमान के खिलाफ भड़का कर राजनैतिक उल्लू सीधा करने वाले ये वही लोग हैं जिनके सांसद रेप के आरोप में अपनी पार्टी के सजायाफ्ता पूर्व विधायक को चुनाव में सहायता करने के लिए धन्यवाद कहने जाते हैं। ये वही लोग हैं जो आसिफा के बलात्कारियों को बचाने के लिए तीरंगा यात्रा निकालते हैं। अब सोचने वाली बात है कि वैसे लोग जो बलात्कारियों के साथ हमदर्दी रखते हैं क्या उन्हें सच में ट्विंकल की मौत का गम है?
ऐसा तो बिल्कुल नहीं लगता। हिंदू बच्ची ट्विंकल की हत्या मुस्लिम युवकों के हाथ हुई। दो मुस्लिम युवकों ने दस हजार रुपए नहीं लौटाने पर बदला लेने के लिए ट्विंकल की हत्या कर दी। सांप्रदायिकता फैलाने के लिए दक्षिणपंथी लोगों ने इसमें रेप और एसिड अटैक का जायका लगा हिंदुओं के सामने पेश कर दिया। जिसका नतीजा हुआ कि जिन लोगों को महिला सुरक्षा के लिए आवाज उठाना चाहिए वह मुस्लिमों के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। क्या यह हिंदुओं का मानसिक पतन है? क्या हिंदुओं की अक्ल इतनी कम हो गई है कि वह राजनैतिक दलों के हर बहकावे में आ जा रहे हैं?
पुलिस रिपोर्ट में साफ लिखा है कि सोशल मीडिया पर ट्विंकल की आंखे बाहर आने, रेप और एसिड अटैक की खबर झूठी है। पुलिस इसके लिए बधाई की पात्र है कि उन्होंने फैलाया गए झूठ पर समय रहते प्रहार करने की कोशिश की एवं दोनों आरोपी जाहिद और असलम को गिरफ्तार कर लिया गया।
गौर करने वाली बात है कि किसी भी मुस्लिम संगठन ने हत्यारे के पक्ष में अब तक कोई सभा या आंदोलन नहीं की है। मुस्लिम बच्ची आशिफा से रेप हुआ, उसकी हत्या की गई। लेकिन मुस्लिम विरोध पर सत्ता में आने वाली पार्टी के नेताओं की ओर से रेप और हत्या आरोपी हिन्दुओं की गिरफ्तारी पर हिंदुओं को उकसाने के लिए आंदोलन किया गया। तीरंगा के मर्यादा को तार-तार करते हुए उन्होंने रेपिस्ट और हत्यारों के पक्ष में तीरंगा यात्रा निकाली। जिससे पूरे दुनिया में हिंदुओं की निंदा हुई।
आसिफा और ट्विंकल दोनों के दुनिया छोड़ने के पीछे का कारण प्रतिशोध की भावना है। कठुआ और आसपास की जगह के गुर्जरों(मुस्लिम घुमंतु जात) के मन में भय पैदा करने और इलाके को गुर्जर मुक्त करने के लिए आसिफा का बलात्कार कर मार दिया गया। लोगों को शक न हो इसलिए बलात्कार करने के लिए मंदिर को चुना गया। क्या ऐसे तथाकथित धार्मिक लोगों को भगवान के सामने ही फूल सी बच्ची के साथ रेप करने में भगवान से डर नहीं लगा?
आसिफा के मामले में कोर्ट ने सजा दे दी है। हालांकि सजा और भी कठोर होनी चाहिए थी। इस केस में तीन लोगों को उम्र कैद और सबूत नष्ट करने के दोषी तीन लोग जिसमें दो पुलिसवाले भी हैं को 5-5 साल की सजा दी गई है। सबूत के अभाव में एक को छोड़ दिया गया है जबकि नाबालिग होने के कारण एक का मुकदमा अलग से चल रहा है। ऐसे दुर्दांत लोगों को मौत की सजा होनी चाहिए थी। मौत की सजा ट्विंकल के कातिल जाहिद और असलम को भी होनी चाहिए।
मासूमों की रेप और हत्या पर राजनीतिक पार्टियों के बहकावे में आकर सांप्रदायिक हो जाना इस समस्या का हल नहीं है। इससे राजनैतिक पार्टियों की शक्ति बैठे-बैठाए बढ़ जाती है, जिससे वह कानून-व्यवस्था को सुदृढ़ करने के उपाय नहीं करते। कानून-व्यवस्था का डर ही विकृत लोगों को ऐसे कुकर्म करने से रोकेगी। सिर्फ मुस्लिम ही हिंदुओं का रेप या हिंदू ही मुस्लिमों का रेप नहीं करते बल्कि समान जात-धर्म के लोग भी बलात्कारी होते हैं।
राजनैतिक दल सभी घटनाओं का राजनीतिकरण कर देते हैं। यह इतने गिर चुके हैं कि एक तीन साल की बच्ची ट्विंकल शर्मा की मौत को भी इन्होंने राजनैतिक और धार्मिक रंग दे दिया है। साथ ही उसके मौत पर इतना झूठ फैलाया कि ट्विंकल की आत्मा इन्हें धिक्कार रही होगी। लेकिन इन लोगों को परवाह नहीं। ट्विंकल की मौत को रेप का नाम दे हिन्दुओं को मुसलमान के खिलाफ भड़का कर राजनैतिक उल्लू सीधा करने वाले ये वही लोग हैं जिनके सांसद रेप के आरोप में अपनी पार्टी के सजायाफ्ता पूर्व विधायक को चुनाव में सहायता करने के लिए धन्यवाद कहने जाते हैं। ये वही लोग हैं जो आसिफा के बलात्कारियों को बचाने के लिए तीरंगा यात्रा निकालते हैं। अब सोचने वाली बात है कि वैसे लोग जो बलात्कारियों के साथ हमदर्दी रखते हैं क्या उन्हें सच में ट्विंकल की मौत का गम है?
ऐसा तो बिल्कुल नहीं लगता। हिंदू बच्ची ट्विंकल की हत्या मुस्लिम युवकों के हाथ हुई। दो मुस्लिम युवकों ने दस हजार रुपए नहीं लौटाने पर बदला लेने के लिए ट्विंकल की हत्या कर दी। सांप्रदायिकता फैलाने के लिए दक्षिणपंथी लोगों ने इसमें रेप और एसिड अटैक का जायका लगा हिंदुओं के सामने पेश कर दिया। जिसका नतीजा हुआ कि जिन लोगों को महिला सुरक्षा के लिए आवाज उठाना चाहिए वह मुस्लिमों के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। क्या यह हिंदुओं का मानसिक पतन है? क्या हिंदुओं की अक्ल इतनी कम हो गई है कि वह राजनैतिक दलों के हर बहकावे में आ जा रहे हैं?
पुलिस रिपोर्ट में साफ लिखा है कि सोशल मीडिया पर ट्विंकल की आंखे बाहर आने, रेप और एसिड अटैक की खबर झूठी है। पुलिस इसके लिए बधाई की पात्र है कि उन्होंने फैलाया गए झूठ पर समय रहते प्रहार करने की कोशिश की एवं दोनों आरोपी जाहिद और असलम को गिरफ्तार कर लिया गया।
गौर करने वाली बात है कि किसी भी मुस्लिम संगठन ने हत्यारे के पक्ष में अब तक कोई सभा या आंदोलन नहीं की है। मुस्लिम बच्ची आशिफा से रेप हुआ, उसकी हत्या की गई। लेकिन मुस्लिम विरोध पर सत्ता में आने वाली पार्टी के नेताओं की ओर से रेप और हत्या आरोपी हिन्दुओं की गिरफ्तारी पर हिंदुओं को उकसाने के लिए आंदोलन किया गया। तीरंगा के मर्यादा को तार-तार करते हुए उन्होंने रेपिस्ट और हत्यारों के पक्ष में तीरंगा यात्रा निकाली। जिससे पूरे दुनिया में हिंदुओं की निंदा हुई।
आसिफा और ट्विंकल दोनों के दुनिया छोड़ने के पीछे का कारण प्रतिशोध की भावना है। कठुआ और आसपास की जगह के गुर्जरों(मुस्लिम घुमंतु जात) के मन में भय पैदा करने और इलाके को गुर्जर मुक्त करने के लिए आसिफा का बलात्कार कर मार दिया गया। लोगों को शक न हो इसलिए बलात्कार करने के लिए मंदिर को चुना गया। क्या ऐसे तथाकथित धार्मिक लोगों को भगवान के सामने ही फूल सी बच्ची के साथ रेप करने में भगवान से डर नहीं लगा?
आसिफा के मामले में कोर्ट ने सजा दे दी है। हालांकि सजा और भी कठोर होनी चाहिए थी। इस केस में तीन लोगों को उम्र कैद और सबूत नष्ट करने के दोषी तीन लोग जिसमें दो पुलिसवाले भी हैं को 5-5 साल की सजा दी गई है। सबूत के अभाव में एक को छोड़ दिया गया है जबकि नाबालिग होने के कारण एक का मुकदमा अलग से चल रहा है। ऐसे दुर्दांत लोगों को मौत की सजा होनी चाहिए थी। मौत की सजा ट्विंकल के कातिल जाहिद और असलम को भी होनी चाहिए।
मासूमों की रेप और हत्या पर राजनीतिक पार्टियों के बहकावे में आकर सांप्रदायिक हो जाना इस समस्या का हल नहीं है। इससे राजनैतिक पार्टियों की शक्ति बैठे-बैठाए बढ़ जाती है, जिससे वह कानून-व्यवस्था को सुदृढ़ करने के उपाय नहीं करते। कानून-व्यवस्था का डर ही विकृत लोगों को ऐसे कुकर्म करने से रोकेगी। सिर्फ मुस्लिम ही हिंदुओं का रेप या हिंदू ही मुस्लिमों का रेप नहीं करते बल्कि समान जात-धर्म के लोग भी बलात्कारी होते हैं।
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