नीतीश का राजनीतिक रेप (political rape of Nitish)
नीतीश का राजनीतिक रेप
Political rape of nitish
बिहार के मुख्यमंत्री और जद(यू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार का राजनीतिक बलात्कार हो चुका है। नीतीश की स्थिति बलात्कार पीड़ित उन महिलाओं की तरह हो गई है जो बलात्कार के कारण घोर पीड़ा और अवसाद में होती हैं लेकिन जगहंसाई के कारण किसी से अपना दुख बांटती नहीं। नीतीश अंदर से काफी दुखी हैं। ऐसा उनके चेहरे से पता भी चलता है, लेकिन खुलकर जाहिर नहीं कर रहें।
भाजपा और जद(यू) 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। भाजपा ने सभी सीटों पर जीत दर्ज की वहीं नीतीश 16 सीट जीतने में सफल रहें। ऐसे में नीतीश को आशा थी कि मंत्रीमंडल में उन्हें कम से कम 3 सीटें दी जाएंगी लेकिन भाजपा एक से ज्यादा सीट देने को तैयार नहीं थी। इस मुद्दे को लेकर खूब उठा-पटक हुआ और "डैमेज कंट्रोल" के लिए नतीजा निकला कि जद(यू) मंत्रीमंडल से बाहर रहेगी। मंत्रीमंडल से बाहर रहने के फैसले के बाद सिर बचाने के लिए नीतीश ने कहा कि जनता ने किसी चेहरे को देखकर वोट नहीं किया, जो कि मोदी पर सीधा हमला था।
नीतीश का जलवा ऐसा था कि वह अटल-आडवाणी की आंखों में आंखें डाल बात करते थे। भाजपा के तीसरे-चौथे क्रम के नेता उनके सामने बैठने में भी खुद को असहज महसूस करते थे। इनमें से एक नाम मोदी का भी था। लेकिन कभी प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नीतीश को आज हर एक चीज के लिए मोदी-शाह के आगे गिड़गिड़ाना पर रहा है। इसका कारण वह खुद हैं। बीते सालों में उन्होंने कई गलत निर्णय लिए और अपने आदर्शों से समझौता करते रहें। पहले मोदी का विरोध फिर मोदी से जा मिलना उनमें से एक था।
नीतीश की छत्र-छाया में भाजपा बिहार में काफी मजबूत हो चुकी है। जिस तरह से मीडिया को अपने वश में कर गलत खबरों के प्रचार से लालू के कोर वोटरों को भी राजद से अलग कर दिया गया कुछ वैसा ही नीतीश के साथ हो इसमें कोई दो राय नहीं। पैसे के बल पर सबकुछ संभव है और पैसा अथाह है भाजपा के पास।
अगर ईवीएम हैक और बदलने की बात सही है तो फिर पूरी उम्मीद है 2020 में होने वाली बिहार विधानसभा चुनाव भाजपा अकेले लड़े। भाजपा के पास इवीएम बदलने और हैक करने के साधन मौजूद भी हैं। लोक सभा चुनाव के दौरान ऐसी खबरें आई भी हैं जिससे इस आशंका को बल मिला है। इतना ही नतीजों के दौरान एएनआई ने दोपहर के समय ट्विट किया कि राहुल गांधी वायनाड से 8 लाख वोट से आगे हैं लेकिन अंतिम नतीजे में उन्हें 6 लाख के करीब वोट मिले ऐसा बताया गया। सपा के धर्मेंद यादव को भी मतदान अधिकारियों ने जो संख्या बताएं थे वह चुनाव आयोग की ओर से दिए गए अंतिम नतीजों से बिल्कुल अलग था।
इस स्थिति में नीतीश को अपना मुंह बंद रख सत्ता का आनंद लेते रहना चाहिए। ऐसा नहीं करने पर उन्हें भी किसी तथाकथित घोटाले में जेल के अंदर फेंक दिया जाए इसकी भी पूरी संभावना है।
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