प्रताप सारंगी:- घिनौने करतूत को छुपाने के लिए सादगी का चोला


जितना बताया जा रहा उतने सीधे नहीं सारंगी


मोदी सरकार में राज्य मंत्री बने प्रताप सारंगी की खूब चर्चा हो रही है। फेसबुक, वाट्सएप, ट्विटर सभी जगह उनकी सादगी की कहानी तैर रही है। सादगी के बहाने सारंगी अचानक से मीडिया के नए सेंसेशन बन चुके हैं।
लेकिन इस सादगी के पीछे छुपा है एक काला चेहरा। सारंगी पर दंगा भड़काने, रंगदारी, सरकारी संपत्ति को क्षति पहुंचाने जैसे सात बड़े मामले दर्ज हैं। कई मामलों में चार्जशीट भी हुई हैं। इन आरोपों की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इनमें से अधिकतर मामले उस समय दर्ज हुए जब ओड़िशा में भाजपा-बीजद की गठबंधन सरकार थी।
ऐसा बताया जा रहा है कि सारंगी क्रिश्चियन मिशनरियों के  खिलाफ हमेशा उग्र रहे हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण साल 1999 में ऑस्ट्रेलियाई नागरिक ग्राहम स्टैंस और उनके दो बच्चों की हत्या से जुड़ा मामला है। ग्राहम स्टैंस अपने परिवार के साथ ओड़िशा में कुष्ठ रोगियों की सेवा करते थे। दक्षिणपंथी ताकतों ने उनपर धर्मांतरण के आरोप लगाएं। एक रात जब वे अपने दो बेटों(11 साल और 7साल) के साथ सो रहे थे तब बजरंग दल ने उनकी गाड़ी में आग लगा दी। उस समय सारंग बजरंग दल के अध्यक्ष थे। उनपर आरोप लगे लेकिन सजा नहीं हुई।
दूसरा बड़ा मामला ओड़िशा विधानसभा को नुकसान पहुंचाना है। साल 2002 में बजरंग दल का अध्यक्ष रहते उन्होंने राम मंदिर बनाने के लिए विश्व हिंदू परिषद, आरएसएस और दुर्गा वाहिनी के करीब 500 कार्यकर्ताओं के साथ विधानसभा पर चढ़ाई कर सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाई थी। यह एक बड़ा मामला मामला है। इसी से कुछ मिलते-जुलते मामले में अफजल गुरु को फांसी की सजा हो चुकी है। 
हालांकि उनके समर्थक उनपर लगे आरोपों को नकारते हैं। वे आरोपों को निराधार और बदले की भावना से दर्ज कराए गए बताते हैं। 

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