मोदी-राहुल ने किया गठबंधन, क्या विधानसभा में भी कायम रहेगी जोड़ी?
द एक्सपोज़ एक्सप्रेस.
मोदी-राहुल ने गठबंधन कर लिया है। चौक गएं? चौंकिए मत। यह सच्चाई है। नॉर्थ एमसीडी(दिल्ली नगर निगम) के जोन चुनाव में भाजपा और कांग्रेस ने गठबंधन कर आम आदमी पार्टी(आप) को हरा दिया है। भाजपा पार्षदों ने अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पद के लिए हुए चुनावों में कांग्रेस की प्रत्याशी सीमा ताहिरा(अध्यक्ष) और सुलक्षणा(उपाध्यक्ष) को वोट कर आप को हरा दिया। इस जोन में आप के सबसे अधिक 8 पार्षद थे, जबकि कांग्रेस के 6 पार्षद। भाजपा पार्षदों की वोट से कांग्रेस को 9-9 वोट मिले, जिससे अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष की कुर्सी पर कांग्रेस का कब्जा हो गया है।
कांग्रेस को वोट करने के पीछे भाजपा की मंशा मुस्लिम बहुल विधान सभाओं में आप को कमजोर और कांग्रेस को मजबूत करना है। यह पहला मौका नहीं है जब कांग्रेस-भाजपा ने गठबंधन किया है। इससे पहले मिजोरम की चकमा स्वायत जिला परिषद् चुनाव में भी गठबंधन कर कांग्रेस-भाजपा ने मिजो नेशनल फ्रंट को रोका था।
दिल्ली में भाजपा-कांग्रेस की गठबंधन से उन बहुजन राजनीतिक विशलेषकों को बल मिला है जो कांग्रेस-भाजपा को एक ही पार्टी बताते हैं। ऐसे लोगों की संख्या बीते सालों में बहुत बढ़ी है जिनकी सोच है कि सत्ता पर पूर्ण नियंत्रण के लिए एक ही सोच और समूह के लोगों ने बहुजनों को बेवकूफ बनाने के लिए दो अलग-अलग पार्टियां बना ली है।
कांग्रेस-भाजपा पहले भी एक दूसरे को सहायता करती रही है, लेकिन तरीका अलग था। किसी भी क्षेत्र में कमजोर रहने पर कांग्रेस अपने क्रिया-कलापों से खुद को और भी कमजोर करती रही है, जिससे भाजपा को फायदा और अन्य दल को नुकसान होता था। यही काम कमजोर रहने पर भाजपा, कांग्रेस के लिए करती रही है।
आने वाले कुछ महीने में दिल्ली में विधान सभा चुनाव होना है। अगर तीनों दल सरकार बनाने के बहुमत के आकड़ें छूने में कामयाब नहीं हो सकी तब कांग्रेस-भाजपा विधानसभा में भी गठबंधन कर ले, इसमें कोई दो राय नहीं। राजनीति में सबकुछ संभव है।
मोदी-राहुल ने गठबंधन कर लिया है। चौक गएं? चौंकिए मत। यह सच्चाई है। नॉर्थ एमसीडी(दिल्ली नगर निगम) के जोन चुनाव में भाजपा और कांग्रेस ने गठबंधन कर आम आदमी पार्टी(आप) को हरा दिया है। भाजपा पार्षदों ने अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पद के लिए हुए चुनावों में कांग्रेस की प्रत्याशी सीमा ताहिरा(अध्यक्ष) और सुलक्षणा(उपाध्यक्ष) को वोट कर आप को हरा दिया। इस जोन में आप के सबसे अधिक 8 पार्षद थे, जबकि कांग्रेस के 6 पार्षद। भाजपा पार्षदों की वोट से कांग्रेस को 9-9 वोट मिले, जिससे अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष की कुर्सी पर कांग्रेस का कब्जा हो गया है।
कांग्रेस को वोट करने के पीछे भाजपा की मंशा मुस्लिम बहुल विधान सभाओं में आप को कमजोर और कांग्रेस को मजबूत करना है। यह पहला मौका नहीं है जब कांग्रेस-भाजपा ने गठबंधन किया है। इससे पहले मिजोरम की चकमा स्वायत जिला परिषद् चुनाव में भी गठबंधन कर कांग्रेस-भाजपा ने मिजो नेशनल फ्रंट को रोका था।
दिल्ली में भाजपा-कांग्रेस की गठबंधन से उन बहुजन राजनीतिक विशलेषकों को बल मिला है जो कांग्रेस-भाजपा को एक ही पार्टी बताते हैं। ऐसे लोगों की संख्या बीते सालों में बहुत बढ़ी है जिनकी सोच है कि सत्ता पर पूर्ण नियंत्रण के लिए एक ही सोच और समूह के लोगों ने बहुजनों को बेवकूफ बनाने के लिए दो अलग-अलग पार्टियां बना ली है।
कांग्रेस-भाजपा पहले भी एक दूसरे को सहायता करती रही है, लेकिन तरीका अलग था। किसी भी क्षेत्र में कमजोर रहने पर कांग्रेस अपने क्रिया-कलापों से खुद को और भी कमजोर करती रही है, जिससे भाजपा को फायदा और अन्य दल को नुकसान होता था। यही काम कमजोर रहने पर भाजपा, कांग्रेस के लिए करती रही है।
आने वाले कुछ महीने में दिल्ली में विधान सभा चुनाव होना है। अगर तीनों दल सरकार बनाने के बहुमत के आकड़ें छूने में कामयाब नहीं हो सकी तब कांग्रेस-भाजपा विधानसभा में भी गठबंधन कर ले, इसमें कोई दो राय नहीं। राजनीति में सबकुछ संभव है।
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