भारतीय टीम की भगवा जर्सी की हर तरफ उड़ रही खिल्ली


द एक्सपोज़ एक्सप्रेस.
"पहली बार भगवा की लिंचिंग देखने मिल रही है", मोहम्मद शमी ने पांच विकेट लेते हुए फिर से साबित कर दिया कि अंग्रेजों के सामने भगवाधारी ही झुके थे मुल्ले नहीं जैसै अनेकों व्यंग से पूरा सोशलमीडिया उस समय पटना शुरु हो गया जब रविवार को खेले जा रहे भारत-इंग्लैंड मुकाबले के दौरान इंग्लैंड के बल्लेबाजों ने भारतीय गेंदबाजों को धोना शुरु किया। मैच का नतीजा इंग्लैंड के पक्ष में गया। गौर करने वाली बात है कि पिछले 27 साल से वर्ल्ड कप में भारत इंग्लैंड के खिलाफ अपराजित रहा था। लेकिन भगवा रंग पहनते ही जीत का यह सिलसिला टूट गया। सिलसिला सिर्फ इंग्लैंड के खिलाफ ही नहीं टूटा बल्कि इस हार के साथ इस वर्ल्ड कप में भी भारत की जीत का सिलसिला टूट गया।
  खेल में जीत-हार लगी रहती है। टीम के हारने-जीतने के बाद लगभग हर भारतवासी की मनोस्थिति एक जैसी रहती है। हार के बाद अधिकांश उदास रहते हैं और जीत के बाद खुश। लेकिन शायद यह पहली दफा है जब टीम के हारने पर भी आधा से ज्यादा भारतीए हार का मजा ले रहे हैं। जिसका कारण सिर्फ और सिर्फ जर्सी का रंग है। इस जर्सी में भगवा रंग को काफी ज्यादा जगह दी गई है। जो कि पहली बार हुआ है। अब तक के इतिहास में भारतीय टीम की जर्सी का मुख्य रंग नीला ही रहा है। भगवा रंग को भारत में दक्षिणपंथी विचारधारा और संस्थाओं मसलन आरएसएस, बजरंगदल, वीएचपी, भाजपा आदि से जोड़ दिया गया है। इन संस्थाओं से जुड़े लोगों पर अंग्रेंजों से मिले होने और उनके लिए  क्रांतिकारियों की जासूसी करने के आरोप लगते रहे हैं। इसलिए भगवाधारियों के विपरित विचारधारा वालों ने भगवा जर्सी में भारतीय टीम की हार पर व्यंग करना शुरु किया कि भगवाधारी अंग्रेजों के सामने फिर से झुक गएं।
आजकल हर ओर गौहत्या के नाम पर मुस्लिमों की लिंचिंग हो रही है। लिंचिंग का आरोप भी भगवाधारियों पर ही लग रहा है। लेकिन कल दसवें ओवर के बाद इंग्लैंड के बल्लेबाजों ने जिस तरह से भगवाधारी भारतीय गेंदबाजों की ठुकाई की, वह बिल्कुल लिंचिंग लगी। नो मर्सी।
फैंस यहीं तक नहीं रुके। किसी ने कहा कि नई जर्सी में टीम इंडिया indian oil के पेट्रोल पंप कर्मी की तरह लग रहे हैं तो किसी ने कहा नई जर्सी में इंग्लैंड ने टीम इंडिया को नीदरलैंड समझकर कूट दिया।
पूरे प्रकरण का एक ही आशय है। भारतवासी वर्षों से भारतीय टीम को नीले रंग में देखने के अभयस्त हो चुके हैं। इस तरह नीले रंग से उनका आत्मीयता का संबंध बन चुका है। बीसीसीआई ने उनके इस संबंध को तोड़ने की कोशिश की, जिससे वे आहत हुए हैं। अपनी इस पीड़ा को व्यंग के रूप में व्यक्त कर रहे हैं।

Comments

Popular posts from this blog

अमात जाति का इतिहास

क्या चमार जाति के लोग ब्राह्मणों के वंशज है?

नंदवंश - प्रथम शूद्र राजवंश