क्या आप अब भी नहीं मानते भारतीय मीडिया हाउस गद्दार है? मीडिया का बॉयकॉट शुरु कीजिए
न्यूज़ चैनल पर चीनी सामानों के बहिष्कार की खूब बात हो रही है। वैसे तो न्यूज़ चैनल पर इसकी चर्चा हर उस वक़्त होती है जब हमारी सेना पर पाकिस्तान की तरफ से फ़ायरिंग होती है या फिर चीन हमारी सीमा पर आक्रमकता दिखाता है। लेकिन चूंकि इस बार चीन के साथ मामला काफी बढ़ गया है तो न्यूज़ चैनल पर पहले की तुलना में चीन के बहिष्कार की बात ज्यादा हो रही है।
ये न्यूज़ चैनल चीन के बहिष्कार की बात तो खूब करते हैं लेकिन इस पर खुद अमल नहीं करते। हद तो यह है की चीनी सामान के बहिष्कार के लिए इनके चैनल पर हो रहे डिबेट को कोई न कोई चीनी कंपनी ही प्रायोजित करती है। चीनी कंपनी इन न्यूज़ चैनलों की आय का बड़ा जरिया है। ये बात ये चैनल समझते हैं और इसलिए कई दफा भारत-चीन सम्बंधित वैसे मुद्दे जहाँ भारत नुकसान की स्थिति में रहता है उस खबर को नहीं दिखाते।
न्यूज़ चैनल बिज़नेस तो एक व्यापर है। लोगों का मरना या सैनिकों का शहीद होना उनको प्रभावित नहीं करता। उन्हें सिर्फ मुनाफे कमाने से मतलब है। इसका उदहारण है आजतक की रिपोर्टर स्वेता सिंह का हालिया बयां की गलवान घाटी में भारतीय सेना अपनी गलती से मरी थी। जबकि सच्चाई ये है कि वे राजनितिक विफलता के शिकार हुए थे। स्वेता सिंह ने सरकार के बदले सेना पर दोष इसलिए मढ़ा क्यूंकि सरकार से उसके आर्थिक हित जुड़े हुए हैं। कल चीनी मोबाइल कंपनी mi10 लांच हुआ था। लगभग सभी चैनल ने इस मोबाइल की खूबियां बताने वाले विशेष शो किये।
ये तो हुई न्यूज़ चैनल की बात जो एक व्यापारिक गतिविधि है। लेकिन हमारे पूर्व सैन्य अधिकारी इन न्यूज़ चैनल के डिबेट में यह जानते हुए क्यों जाते हैं की जिस डिबेट में वो भाग ले रहे हैं उसे कोई न कोई चीनी कंपनी प्रायोजित कर रही है। पूर्व सैन्य अधिकारी हमारे शहीद सैनिकों के हत्यारों के उत्पाद का प्रचार क्यों कर रहे हैं।
क्या चीनी सामानों के बहिष्कार का ठेका निम्नवरवर्गीय लोगों ने ही ले रखा है?
ऐसी गद्दार मीडिया सुधारना ही होगा। मीडिया का बहिष्कार शुरु कीजिए।
ये न्यूज़ चैनल चीन के बहिष्कार की बात तो खूब करते हैं लेकिन इस पर खुद अमल नहीं करते। हद तो यह है की चीनी सामान के बहिष्कार के लिए इनके चैनल पर हो रहे डिबेट को कोई न कोई चीनी कंपनी ही प्रायोजित करती है। चीनी कंपनी इन न्यूज़ चैनलों की आय का बड़ा जरिया है। ये बात ये चैनल समझते हैं और इसलिए कई दफा भारत-चीन सम्बंधित वैसे मुद्दे जहाँ भारत नुकसान की स्थिति में रहता है उस खबर को नहीं दिखाते।
न्यूज़ चैनल बिज़नेस तो एक व्यापर है। लोगों का मरना या सैनिकों का शहीद होना उनको प्रभावित नहीं करता। उन्हें सिर्फ मुनाफे कमाने से मतलब है। इसका उदहारण है आजतक की रिपोर्टर स्वेता सिंह का हालिया बयां की गलवान घाटी में भारतीय सेना अपनी गलती से मरी थी। जबकि सच्चाई ये है कि वे राजनितिक विफलता के शिकार हुए थे। स्वेता सिंह ने सरकार के बदले सेना पर दोष इसलिए मढ़ा क्यूंकि सरकार से उसके आर्थिक हित जुड़े हुए हैं। कल चीनी मोबाइल कंपनी mi10 लांच हुआ था। लगभग सभी चैनल ने इस मोबाइल की खूबियां बताने वाले विशेष शो किये।
ये तो हुई न्यूज़ चैनल की बात जो एक व्यापारिक गतिविधि है। लेकिन हमारे पूर्व सैन्य अधिकारी इन न्यूज़ चैनल के डिबेट में यह जानते हुए क्यों जाते हैं की जिस डिबेट में वो भाग ले रहे हैं उसे कोई न कोई चीनी कंपनी प्रायोजित कर रही है। पूर्व सैन्य अधिकारी हमारे शहीद सैनिकों के हत्यारों के उत्पाद का प्रचार क्यों कर रहे हैं।
क्या चीनी सामानों के बहिष्कार का ठेका निम्नवरवर्गीय लोगों ने ही ले रखा है?
ऐसी गद्दार मीडिया सुधारना ही होगा। मीडिया का बहिष्कार शुरु कीजिए।
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