जब राजपूतों ने कुर्मिओं को राजा नहीं बनने दिया
असफ-उद्-दौला जो कि अवध के चौथे नवाब थे ने अठारहवीं शताब्दी के अंत में कुछ अमीर और प्रभावशाली अयोध्या कुर्मी जमींदारों को राजा का टाइटल देना चाहा। राजा का टाइटल क्षत्रिय होने का प्रमाण है। लेकिन नवाब के दरबार में शामिल राजपूत सरदारों ने इसमें टांग लगा दी। इस वजह से नवाब अपने सामाजिक न्याय के मंसूबे में कामयाब नहीं हो सके। सबसे बड़ी बात यह है की राजपूतों का यह समूह कुछ दिन पहले ही कोर्ट में बैठने के योग्य बने थे। इससे पहले वो छोटे दर्जे के सैनिक हुआ करते थे, जैसा की अंग्रेज इतिहासकार फ्रांसिस बुकानन ने लिखा है।
इतिहासकार विलियम फिंच ने लिखा है की ब्राह्मनों के बाद राजपूत ही राज्य के संसाधनों के सबसे बारे लाभार्थी हुआ करते थे. इतिहासकार रिचर्ड बेरनेटे लिखते हैं की असफ इस लाभ का अंग अन्य दूसरी जाति को भी बनाना चाहते थे जो की राजपूतों को नामंजूर था।
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