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Showing posts from June, 2020

क्या आप अब भी नहीं मानते भारतीय मीडिया हाउस गद्दार है? मीडिया का बॉयकॉट शुरु कीजिए

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न्यूज़ चैनल पर चीनी सामानों के बहिष्कार की खूब बात हो रही है। वैसे तो न्यूज़ चैनल पर इसकी चर्चा हर उस  वक़्त होती है जब हमारी सेना पर पाकिस्तान की तरफ से फ़ायरिंग होती है या फिर चीन हमारी सीमा पर आक्रमकता दिखाता है। लेकिन चूंकि इस बार चीन के साथ मामला काफी बढ़ गया है तो न्यूज़ चैनल पर पहले की तुलना में चीन के बहिष्कार की बात ज्यादा हो रही है। ये न्यूज़ चैनल चीन के बहिष्कार की बात तो खूब करते हैं लेकिन इस पर खुद अमल नहीं करते।  हद तो यह है की चीनी सामान के बहिष्कार के लिए इनके चैनल पर हो रहे डिबेट को कोई न कोई चीनी कंपनी ही प्रायोजित करती है। चीनी कंपनी इन न्यूज़ चैनलों की आय का बड़ा जरिया है। ये बात ये चैनल समझते हैं और इसलिए कई दफा भारत-चीन सम्बंधित वैसे मुद्दे जहाँ भारत नुकसान की स्थिति में रहता है उस खबर को नहीं दिखाते। न्यूज़ चैनल बिज़नेस तो एक व्यापर है। लोगों का मरना या सैनिकों का शहीद होना उनको प्रभावित नहीं करता।  उन्हें सिर्फ मुनाफे कमाने से मतलब है। इसका उदहारण है आजतक की रिपोर्टर स्वेता सिंह का हालि...

लद्दाख में चीन से लड़ने वाले सैनिकों के पास हथियार थे ?

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वरिष्ठ सैन्य अधिकारी, नेता और रक्षा मामलों से जुड़े पत्रकार लगातार कह रहे हैं की गलवान में शहीद हुए सैनिकों के पास  हथियार नहीं थे। राहुल गाँधी ने भी ट्विटर के माध्यम से  सरकार से यह प्रश्न पूछा था की हमारे सैनिक बिना हथियार के क्यों थे। राहुल गाँधी के सवाल के जवाब में विदेश मंत्री ने कहा कि हमारे सैनिक के पास हथियार थे लेकिन 1993 और 2005 में हुए समझौते के कारण हमारे सैनिकों ने हथियार नहीं उठाए। साल 1993 और 2005 का नाम लेकर सरकार ने इसकी जिम्मेवार कांग्रेस अर्थात राहुल गांधी को ही बता दिया जो कि सरकार लगातार करती आई है। चाहे मोदी सरकार -1 हो या मोदी 2.0 हर नकारात्मक घटनाओं का जिम्मेवार मोदी और उनकी पार्टी नेहरू, इंदिरा और राजीव को हीं बताती आ रही है। पूर्व सैन्य अधिकारियों का कहना है कि कितने भी समझौते क्यों न हो, अगर दूसरा पक्ष हम पर इस तरह के हमले करेगा तो हमारे सैनिक किसी भी स्थिति में गोली चलाने से नहीं चूकेंगे। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी सरकार के बयान पर सवाल उठाया है। सवाल उठाना लाजिमी भी है। ऐसा होना नामुमकिन है कि कर्नल रैंक का कमांडिंग...

क्या भारत ने नाथू-ला से कुछ नहीं सीखा? क्या है नाथू-ला का पाकिस्तान कनेक्शन?

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ऐसी बातें सामने आ रही हैं कि लद्दाख में शहीद हुए भारतीय सैनिकों को बिना हथियार के रहने को कहा गया था। चीन जो की बीते कुछ सप्ताह से आक्रामक रुख अपनाए हुए है और बार-बार हो रहे स्टैन्डॉफ के बावजूद पीछे हटने को तैयार नहीं है, उसके सामने निहत्थे सैनिकों को भेजना क्या उचित था, जब हम जानते हैं कि चीन गद्दारी और पीठ में छूरा भोकने के लिए जाना जाता है। यह कोई पहला मौका नहीं है जब चीन ने धक्का-मुक्की के बाद अचानक हम पर हमला किया है।  लेकिन हम अपनी पिछली गलतियों से ज्यादा कुछ नहीं सीख रहे। हम बात कर रहे हैं 1967 में हुए भारत-चीन संघर्ष की, जिसे दूसरा भारत-चीन युद्ध भी कहा जाता है और जिसमें भारत को विजय प्राप्त हुई थी। जिस तरह से आज सीमावर्ती कई इलाकों से भारत-चीन सैनिकों के बीच हाथापाई की खबरें आ रही हैं तब भी कुछ ऐसा ही हाल था। इस तरह की संघर्ष  नाथू-ला में भी 1963 के बाद बढ़ गयी थी। नाथू-ला के उत्तरी सिरे पर चीन का जबकि दक्षिणी हिस्से पर भारत का कब्ज़ा था।  भारत-पाक युद्ध 1965 के दौरान अयूब ...

जिसे पाने के लिए लोग लाखों खर्च करते हैं लालू प्रसाद यादव ने उसे क्यों जाने दिया?

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भारतीय मीडिया और राजनैतिक विरोधी बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव  को तथाकथित चारा घोटाला को लेकर लगातार बदनाम करते रहते हैं। इस तरह ये लोग संगठित तरीके से लालू प्रशंषकों के बीच उनकी छवि धूमिल करने की फ़िराक़ में लगे रहते हैं। राजनैतिक विरोधी तो ऐसा करेंगे ही, लेकिन मीडिया इस तरीके से लालू प्रसाद यादव के पीछे क्यों पड़ी रहती है जब चारा घोटाला के मास्टरमाइंड स्वर्गीय जग्गन्नाथ मिश्रा थे और लालू ने चारा घोटाला के जांच के आदेश दिए थे। इस प्रश्न का उत्तर जानने के लिए हमें भारतीय मीडिया के ढाँचे को समझना होगा। भारतीय मीडिया में 75 % से अधिक हैं ब्राह्मण हैं।  सवर्णों की बात करे तो वे भारतीय मीडिया में 95 % से अधिक पाए जाते हैं। लालू प्रसाद यादव ने मीडिया में कुंडली मारकर बैठे इन्हीं  लोगों के कौम के सामंती रवैये पर प्रहार कर दलित-पिछड़े को उनका अधिकार दिलाया। इसलिए लालू प्रसाद यादव को देखकर या उनका नाम सुनते ही इनके शरीर में कम्पन  शुरू हो जाती है और जुबान लडख़ड़ाने लगती है, जिसके परिणाम स्वरुप वे लोग कुछ भी बकने लगते हैं।    ...

क्या कहते हैं कृष्ण उपवास के विषय में? Is lord Krishna and Buddha same?

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It is a bilingual article कई लोगों का प्रश्न रहता है की कृष्णा ने उपवास के बारे में क्या कहा है। इसका उत्तर श्रीमद्भगवद्गीता के अध्याय -६ के श्लोक १६ में है। अर्जुन के प्रश्न के उत्तर में कृष्ण  कहते हैं -  नात्यश्नतस्तु योगोस्ति न चैकान्तमनश्नतः  न चाती स्वपनशीलस्य जाग्रतो नैव चार्जुन  इस श्लोक का अर्थ है- हे अर्जुन यह योग न तो बहुत खानेवाले का , न बिलकुल न खाने वाले का, न बहुत सोने वालों का और न ही सदा जागने वाले का पूरा होता है। अर्थात कृष्णा साफ़-साफ़ कह रहे हैं की ईश्वर को पाने के  लिए उपवास जैसे पाखंड की जरुरत नहीं है। ईश्वर न तो बहुत अधिक खाने वालों को मिलते हैं और न ही एकदम नहीं खाने वालों को। ईश्वर केवल जरुरत के अनुसार खाने वालों को मिलते हैं।  क्या बुद्ध ही कृष्ण हैं? बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के लिए लम्बे समय तक भूखा रहकर तपस्या की थी, लेकिन उसका परिणाम शुन्य रहा।  उल्टा वह हड्डिओं का ढांचा मात्रा रह गए थे।  सुजाता नाम की ग्वालन ने जब उन्हें पहली बार देखा तो उसे ऐसा प्रतीत हुआ की वह पेड़ के ही भाग।...

अहीर रेजिमेंट हक है हमारा ट्रेंड कराने के पीछे क्या है बीजेपी का मकसद

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बीते 6 जून को अहीर रेजिमेंट हक़ है हमारा   ट्विटर पर ट्रेंड कराया गया। यह चार लाख से अधिक बार रीट्वीट किया गया। समझने वाली बात है की अकेले यादवों के पास इतने संसाधन नहीं हैं की वो अपने समाज से जुड़े मुद्दे को चार लाख से अधिक बार रीट्वीट करा लें। पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान भी अखिलेश यादव ने अहीर रेजिमेंट की मांग उठाई थी। इसे ट्वीटर पर ट्रेंड करने की कोशिश भी हुई थी, लेकिन इतने रीट्वीट नहीं हो पाए थे। रीट्विटों की संख्या इससे काफी कम थी। अब प्रश्न उठता है कि इस बार इतना रीट्विट कैसे संभव हो पाया? किन लोगों की मेहनत इसके पीछे थी? किन लोगों ने इसे मुमकिन बनाया? भाजपा आईटी सेल ने मुमकिन बनाया  जवाब है भाजपा आईटी सेल के सदस्य। जवाब जानकर आप चौंके होंगे लेकिन यही सच्चाई है। ध्यान देने वाली बात है कि अहीर रेजिमेंट हक है हमारा    को 7 जून को संपन्न हुए गृहमंत्री अमित शाह की वर्चुअल रैली से ठीक एक दिन पहले ट्रेंड कराई गयी। रैली कुछ महीने में होने वाली बिहार चुनाव के मद्देनजर आयोजित की गई थी। बिहार में मुख्य विपक्ष राजद है, जिसके सुप्रीमो लालू यादव हैं। भा...

नितीश को किस से है फेसबुक हैक किये जाने का डर

जेडीयू ने बीते दिनों अपने कार्यकर्ताओं  से फेसबुक के हैकिंग को लेकर सावधान रहने की बात कही थी। गुप्त सूत्रों ने बताया की इसके बाद ज्यादातर कार्यकर्ताओं ने अपने अकाउंट को डीएक्टिवेट कर लिया।  कई दो दिनों तक फेसबुक से नदारद रहे।  जदयू की तरफ से यह चेतवानी अमित शाह की वर्चुअल रैली से पहले दी गयी थी। अमित शाह की रैली के पीछे मकसद बिहार में अपनी शक्ति दिखानी थी।  जदयू को शंका थी की बीजेपी की आईटी सेल कहीं उसके कार्यकर्ताओं की फेसबुक प्रोफाइल से छेडछाड़ न कर दे इसके लिए कार्यकर्ताओं को हिदायत दी गयी।  गौरतलब है की बिहार चुनाव  देखते हुए गृहमंत्री अमित शाह   ने 7 जून को डिजिटल रैली की थी जिसमे ७२००० एंड्राइड टीवी का प्रयोग हुआ था.

युद्ध के लिए तीन दिन में अपनी सेना तैयार कर लेने की बात करने वाले भागवत मौका आने पर चुप क्यों हो जाते?

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अजय शुक्ला समेत कई वरिष्ठ रक्षा पत्रकार के अनुसार चीनी सेना गलवान घाटी और पेंगोंग त्सो के साथ कई भारतीय क्षेत्रों में घुसपैठ कर चुकी है और पीछे हटने को तैयार नहीं है. कई जगह पर उसने बंकर भी बना लिए हैं। वह पुरे गलवान वैली को अपना बता रही है और पेंगोंग त्सो के बड़े हिस्से पर अपना खूंटा गाड़ दी है। भारतीय और चीनी अधिकारिओं के बीच फ्लैग मीटिंग हुई जो बेनतीजा निकली। चीन पीछे हटने के मूड में बिलकुल नहीं है। ऐसा वरिष्ठ स्वतंत्र रक्षा पत्रकार बताते हैं।  दूसरी तरफ केंद्र सरकार फ्लैग मीटिंग को सफल बता रही है और अपने मीडिया से झूठ फैला रही है कि चीन पीछे हटने को तैयार हो गया है. भारत-चीन पर सीमा पर स्तिथि कितनी भयावह है इसके अंदाजा बीते सप्ताह वायरल हुई कई वीडियो से पता चलता है। जिन क्षेत्रों में भारतीय पेट्रोलिंग की संख्या कम थी और चीनी सैनिक उस क्षेत्र में उनसे कई गुना ज्यादा थे उन क्षेत्रों में उन्हें बाँधा तक गया। 70-80 सैनिकों को काफी चोटें आयी जिसके बाद उन्हें स्थिति की गौभीरता के अनुसार चंडीगढ़ तक इलाज के लिए भेजा गया। बीते कुछ सप्ताह में इतना कुछ घटित हुआ ...

जब राजपूतों ने कुर्मिओं को राजा नहीं बनने दिया

असफ-उद्-दौला जो कि अवध के चौथे नवाब थे ने अठारहवीं शताब्दी के अंत में कुछ अमीर और प्रभावशाली अयोध्या कुर्मी जमींदारों को राजा का टाइटल देना चाहा।  राजा का टाइटल क्षत्रिय होने का प्रमाण है। लेकिन नवाब के दरबार में शामिल राजपूत सरदारों ने इसमें टांग लगा दी।  इस वजह से नवाब अपने सामाजिक न्याय के मंसूबे में कामयाब नहीं हो सके। सबसे बड़ी बात यह है की राजपूतों का यह समूह कुछ दिन पहले ही कोर्ट में बैठने के योग्य बने थे। इससे पहले वो छोटे दर्जे के सैनिक हुआ करते थे, जैसा की अंग्रेज इतिहासकार फ्रांसिस बुकानन ने लिखा है। इतिहासकार विलियम फिंच ने लिखा है की ब्राह्मनों के बाद राजपूत ही राज्य के संसाधनों के सबसे बारे लाभार्थी हुआ करते थे. इतिहासकार रिचर्ड बेरनेटे लिखते हैं की असफ इस लाभ का अंग अन्य दूसरी जाति  को भी बनाना चाहते थे जो की राजपूतों को नामंजूर था।

History of Bari Patandevi

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Patandevi is the city magistrate and preserver power of Patna. Bai Patan Devi has an important place among the 51 Shakti Peeths . According to the Puranas, wherever the body parts of Shiva's first wife Sati fell, have been called Shakti Peetha. It is believed that the right thigh of Sati fell here. There are two Patanadevis in Patna - Badi Patadevi and Chhotipatan Devi. Badi Patandevi is located south of Gulzarbagh in Maharajganj between Ashok Rajpath and Shershah road(english road). There is a big pit behind the temple which is called Patnadevi Khandha. It is said that the black idols of the three goddesses, Durga, Lakshmi and Saraswati which are placed in the temple were found in this pit.  The idol of Bhairava is also installed in the temple which is worshiped as Vyomkesh. In the temple. It is customary to offer raw food to the goddess and day time and cooked at night. Badi Patan Devi is known for Kaulik Mantra. The building of Chota Patan Devi is older than that of ...

Casteist Indian media looses reliability, backward and scheduled classes journalists blooms

Though the present scenario has not been good for the down trodden castes of India but it has certainly proved to be fruitful in terms of BAHUJAN JOURNALISM i.e, journalism for the cause of backward and scheduled castes/tribes. Just like all other fields Indian journalism has been a upper castes paradise. Any upper caste person whether he poses quality or not can be a journalist through his links. This is the main reason behind the low standard and psycophancy in Indian Journalism in comparison to the west. Around 70-75% of Indian journalists are brahmans. when we add other upper caste journalist in this list then the share goes as high as 93-95%. Contrast is that UPPER Caste people do not account for more than 12-14% of Indian Population. Share of downtrodden people(Backward Classes, Scheduled Castes and Scheduled Tribes) is miniscule. The journalists who with their talent secured a position in journalism have been facing biases. They have been given lower salary than incomp...

भारतीय मीडिया की बेईमानी ने दिया बहुजन पत्रकारिता को उछाल

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हालाँकि वर्तमान परिदृश्य भारत की निम्न वर्गीय जातियों के लिए अच्छी नहीं है, लेकिन जब हम बहुजन पत्रकारिता की बात करते हैं तो यह निश्चित रूप से पिछड़े और अनुसूचित जातियों / जनजातियों के संदर्भ में फलदायी साबित हो रहा है। अन्य सभी क्षेत्रों की तरह ही भारतीय पत्रकारिता भी उच्च जातियों के लिए स्वर्ग रही है। कोई भी उच्च जाति का व्यक्ति जो कहीं भी नौकरी नहीं पा सकता वह अपने संबंधियों के लिंक से पत्रकार बन जाता है । पश्चिम की तुलना में भारतीय पत्रकारिता में निम्न मानक के पीछे यह मुख्य कारण है।  लगभग 70-75% भारतीय पत्रकार ब्राह्मण हैं। जब हम इस सूची में अन्य उच्च जाति के पत्रकारों को जोड़ते हैं तो यह हिस्सा 93-95% तक बढ़ जाता है। जबकि सवर्णों की जनसंख्या 12-14% से अधिक नहीं हैं। दलित-पिछड़े और आदिवासी जो कि बहुसंख्यक हैं का हिस्सा नगण्य है। जिन पत्रकारों ने अपनी प्रतिभा के कारण पत्रकारिता में स्थान हासिल किया, वे पक्षपात का सामना कर रहे हैं। उन्हें अक्षम सवर्ण पत्रकारों की तुलना में कम वेतन दिया जाता है। उनके लिए पदोन्नति की संभावना बहुत कम है, चाहे उन्होंने कितनी ही उत्कृष्ट रिपोर्टें क...

Why do Upper castes glorify PM Modi who belongs to most backward class, has casteism ended?

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The fingers and mouth of the upper castes do not tire of spreading hatred and lies against the leaders like Mulayam Singh Yadav, Lalu Yadav and Mayawati, who are in a way angel for the other backward classes and the scheduled caste/tribes. On the other hand they keep glorifying current Prime Minister narendra modi. Modi belongs to most backward classes and his caste falls under the category of untouchables in the Brahminical system. Upper caste people never shown tradition of respecting people from lower castes, No matter how much knowledgeable, powerful or brave a person of lower caste have been, there have always been frustration in the minds of the Dwijs(twice born i.e, brahmans). Upper castes campaigned against them in every form, written and oral. A similar tradition has been going on since ancient times. Whether it were emperors of Nanda dynasty(nanda’s army was so enormous and feared that Alexander did not try to attack India and returned) who dreamed of Ekrashtra(one nation) ...

शूद्र शिवाजी का राजतिलक करने से मना करने वाले क्यों हैं मोदी को सिर पर बैठाए

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सवर्णों की उंगलियां और मुंह मुलायम सिंह यादव, लालू यादव और मायावती सरीखे नेता/नेत्री जो कि एक तरह से दलित-पिछड़ों के लिए रहनुमा हैं के खिलाफ घृणा और झूठ फैलाते नहीं थकती। दूसरी तरफ अति-पिछड़े मोदी जिनकी जात ब्राह्मणीय व्यवस्था में आंशिक अछूत की श्रेणी में आती है को वे अपने सिर पर बैठाए हुए हैं।  सवर्णों में एक नीची जात के व्यक्ति को अपने सिर पर बैठाने की परंपरा रही ही नहीं है। नीची जात का व्यक्ति चाहे कितना भी ज्ञानी, बलवान या शौर्यवान क्यों न रहा हो द्विजों के मन में हमेशा उनके लिए कुंठा ही रही है। लिखित और मौखिक हर प्रकार से उनके खिलाफ उन्होंने दुष्प्रचार किया। प्राचीन काल से अब तक ऐसी ही परंपरा चली आ रही है। प्राचीन काल में एकराष्ट्र का सपना देखने वाले नंद वंश के सम्राट हो या फिर मध्ययुग में छत्रपति शिवाजी महाराज, द्विजों ने सबका अपमान किया। शूद्र होने के कारण उन्होंने शिवाजी महाराज का राजतिलक करने से मना कर दिया था। शिवाजी को कई वर्ष इंतजार करना पड़ा, जिसके बाद उनका राजतिलक हो सका। संयंत्र के तहत उनके मकबरे को भी गुमनाम बना दिया गया, जिसे बाद में ज्योतिबा फूले ने खोजा।...

Tejasvi Yadav's Garib Adhikar Day

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Ex Deputy CM of Bihar Tejasvi Yadav celebrated 7th june as garib adhikar day. He along with several senior RJD leaders and party officials clang utensil at party office at 11 am for 11 minutes. Party workers in all district along with masses followed their leaders and clang utensil.  Main aim behind this utensil clinging was to protest the virtual rally of union home minister Amit Shah. Virtual rally which was named as jansamvad was organised on 7th june at 4pm on grand scale seeing the forth coming Bihar election, In this virtual rally Amit Shah addressed thousands of BJP workers from union capital NEW DELHI. For this virtual rally 72000 booths were made and provided with large screen LED android TVs. Opposition leader Tejasvi Yadav termed it as POLITICAL VULTURISM. He further added BJP cares nothing except winning election.