इसे पिछड़ों का दोगलापन कहे या ब्राह्मणों की चाटने की आदत?
दूसरी तरफ प्रशासन में ऊंचे स्थान पर बैठे जनेऊधारी अधिकारी सभी योग्यता होने के बावजूद इन पिछड़ों को प्रोमोशन नहीं देते। सामान्यतः इनसे अयोग्य जनेऊधारियों को समयपूर्व प्रमोशन दे दिया जाता है।
इतना सब होने के बावजूद ये पिछड़े इन्हीं जनेऊधारियों के संगठनों की झंडा उठाते रहते हैं और उन झंडों में लगे डंडों की लगातार मार खाते रहने के बावजूद इन्हें अक्ल नहीं आती।
शायद जनेऊधारियों की डंडे खाने में ही इन्हें परम आनंद की अनुभूति होती है। शायद जनेऊधारियों के डंडे में ही इनका मोक्ष छुपा है।
-कुमार शशि
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