भूमिहार सांसद गिरिराज के छूने से अशुद्ध हुए अंबेडकर की प्रतिमा को दलितों ने नहलाकर किया शुद्ध
हम देखते आए हैं दलितों के राष्ट्रपति की कुर्सी पर बैठ जाने के बाद भी अगर वह किसी मंदिर में जाता है तो ब्राह्मण,भूमिहार, राजपूत उस मंदिर को धुलवा देते हैं। लेकिन अब वक्त बदल रहा है।
बेगूसराय से एक खुशखबरी आई है। बेगूसराय के भूमिहार सांसद ने जब वहां भारत रत्न बाबा साहब अंबेडकर की मूर्ति को माला चढ़ाया और उसके समर्थकों ने मूर्ति के सामने जय श्रीराम का नारा लगाया तो दलितों ने इसे बाबा साहब का अपमान माना। गिरिराज के वहां से जाने के बाद उन लोगों ने शुद्धिकरण के लिए बाबा साहब की मूर्ति को नहलाया। गौरतलब है कि बाबा साहब ने हिंदू धर्म के छुआ-छात से तंग आकर बुद्ध धर्म अपनाया था। अतः उनकी प्रतिमा के सामने जय श्रीराम का नारा लगाना उनका मजाक उड़ाना ही हुआ। अतः दलितों का यह साहसपूर्ण कदम काबिल-ए-तारीफ है।
ब्राह्मण, भूमिहार, राजपूत आपसे जैसा व्यवहार करते हैं आप भी उनसे वैसा ही व्यवहार करने लगिए। बस उनकी हेकड़ी निकल जाएगी। अगर वह आपको अछूत कहते हैं तो आप उन्हें अछूत बना दिजिए। ठीक रिजनिंग की उस प्रश्न की तरह जिसमें एक रेखा को बिना काटे छोटा बनाने के लिए उसके बगल में एक बड़ी लाइन खींच दी जाती है।
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