जनेऊधारियों की मानसिक गुलामी से कब बाहर निकलेंगे पिछड़े?
पिछले 2000 साल से पिछड़ी जातियां पिछड़ी ही बनी हुई है। विदेशी जनेऊधारियों ने इन्हें अपना मानसिक गुलाम बनाया हुआ है। ये इतने बड़े गुलाम हैं कि जो भी इन्हें इस गुलामी से निकालने के लिए जनेऊधारियों से अपनी चिंता किए बगैर लड़ते हैं ये उन्हीं से गद्दारी करते हैं और अपना शोषण करवाने के लिए जनेऊधारियों से मिल जाते हैं। ये पिछड़े अपने परिवार के लोगों की अच्छी बात नहीं मानते लेकिन जनेऊधारी जो कि हमेशा इनको नीचा देखना चाहते हैं की बात तुरंत मान लेते हैं और अपने लोगों के खिलाफ हो जाते हैं। वीपी सिंह ने पिछड़ों को आरक्षण दिया और पिछड़े लोग राम भक्त बनकर आरक्षण छिनने वालों से जा मिले और वीपी सिंह को हरा बैठे। लालू, मुलायम, शरद जैसे लोग इनको उपर उठाने के लिए जनेऊधारियों से लड़ाई लड़ते हैं लेकिन ये पिछड़े आज इन्हें ही चोर कहते हैं और लूटने और शोषण करने वाली पार्टियों को भगवान बना बैठे हैं।