Posts

Showing posts from May, 2019

काग(कौआ), शूद्र और जनेऊधारी की कहानी

एक शूद्र और एक काग(कौआ) दोस्त थें। काग एक जनेऊधारी द्वारा अपने शूद्र दोस्त को बिना मतलब बार-बार पीटे जाने से आहत था।     उसने जनेऊधारी से बदला लेने की ठानी। उसे पता था कि अगर वह जनेऊधारी के घर की छत पर जाकर बैठ जाएगा तो वह जनेऊधारी उस घर को अपशकुन मान वहां रहना छोड़ देगा। अगले दिन सुबह-सुबह वह जनेऊधारी के छत पर जा बैठा, जिसके कारण जनेऊधारी को वह घर छोड़ना पड़ा। अब बदला लेने की बारी जनेऊधारी थी। वह अच्छे मौके की ताक में था। एक दिन जब काग अपने शूद्र मित्र से मिलकर जा रहा था तब जनेऊधारी पीछे से चिल्लाया-" काग तुम्हारा कान काटकर ले जा रहा है। उसने मित्र बनकर तुम्हें बेवकूफ बनाया। पकड़ो उसे।" यह सुनते ही शूद्र काग के पीछे दौड़ने लगा और जब उसे पकड़ नहीं पाया तो गुलेल से मार गिराया। उसकी चोंच में कान न देखकर उसे बहुत दुख हुए। शूद्र के पीछे खड़ा जनेऊधारी हंस रहा था। शिक्षा:- शूद्रों की खासियत है कि जो भी उसे जनेऊधारियों के अत्याचार से बचाता है, वह उसे ही खत्म कर देता है, वह भी जनेऊधारियों के बहकावे में आकर।

हवस जितनी भी थी

Image

अमात जाति का इतिहास

Image
                  अमात समाज के ज्यादातर पढ़े-लिखे लोग जो अमात जात के इतिहास पर शोध कर रहे हैं, उनके अनुसार अमात शब्द अमात्य का अपभ्रंश है। इस मत को नकारा भी नहीं जा सकता। योग्य होने पर किसी भी जात का व्यक्ति अमात्य बन सकता था। लेकिन इतिहास देखे तो ज्ञात होता है कि कुछ अवसरों को छोड़ दिया जाए तो अमात्य पद के लिए सामान्यतः ब्राह्मण और क्षत्रिय को ही प्राथमिकता दी जाती थी। अतः कालांतर में यह एक जात/वर्ग के रूप में विकसित हुआ। जिसके सदस्य सामान्यतः अपने वर्ग में ही वैवाहिक संबंध स्थापित करते थे। चाणक्य और उनके द्वारा उद्घृत चिंतकों ने अमात्यों के लिए अनेक गुण विहित किए हैं। किंतु सभी ने अभिजात्य गुण को आवश्यक बताया है। जैसे जिसके पिता और दादा अमात्य रहे हों। यह संदेहास्पद है कि प्रथम दो वर्णों के सिवा किसी अन्य वर्ण में अभिजात्य की योग्यता मिल सकती है। मेगास्थनीज के अनुसार निम्न वर्णों के लिए उच्च पदों पर पहुंचने के द्वार बंद थे। उन्होंने कहा है कि न्यायपालिका और कार्यपालिका पर एक पेशेवर वर्ग के लोग ही नियुक्त किए जाते थे। कात्यायन जोर दे...