सवर्ण नेताओं के मरने पर दलित-पिछड़े आखिर आंसू क्यों बहाते हैं
चाराचोर, टोंटीचोर, भैंसावती न जाने कैसी-कैसी अमर्यादित-गरीमाहीन अपशब्दों से उनके घर के बच्चे-बच्चे तक करते हैं सुशोभित तुम्हारे नेताओं को और तुम सब सिर पर अपने चलते हो उठाकर उन घोटालेबाजों का ध्वजा करते हो उनका जयकारा खुद अपनी ही हार पर। तुम्हारे हक को कुचल करके अतिक्रमण तुम्हारे अधिकारों पर हत्यारा रहा जो तुम्हारे समाज का निकलते हैं आंसुओं के सैलाब तुम्हारी आंखों से थकते नहीं मुख पढ़-पढ़ कसीदे मृत्योपरांत उनके उस नेता के नाम के और एक वो हैं बख्शते नहीं अपने इक्के-दुक्के नेताओं को भी रही हो जिन्हें तुमसे हमदर्दी लिखे जाते हैं अपशब्द अखबारों में होती हैं सभाएं उनके खिलाफ ठंडी भी नहीं होती है जब तक उनकी चिताओं की राख। -शशि कांत कुमार